हिन्दुस्थान की मूल प्रवृत्ति हिंदुत्वः स्वामी आनंद स्वरूप  महाराज
हिन्दुस्थान की मूल प्रवृत्ति हिंदुत्वः स्वामी आनंद स्वरूप महाराज

हिन्दुस्थान की मूल प्रवृत्ति हिंदुत्वः स्वामी आनंद स्वरूप महाराज

ऋषिकेश, 19 जनवरी (हि.स.)। शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने मंगलवार को कहा है कि हिन्दुस्थान की मूल प्रवृत्ति हिंदुत्व है। इसे जबरन सेकुलर बनाने का प्रयास आत्मघाती सिद्ध हुआ है। आनंद स्वरूप ने यह बात ऋषिकेश में अपराह्न बाद शुरू हो रहे हिंदू रिपब्लिक ऑफ हिंदुस्तान के हिंदू पंचायत सम्मेलन में हिस्सा लेने से पहले 'हिन्दुस्थान समाचार' से कही। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्थान जीता जागता राष्ट्र पुरुष है । उसके अंगों को हमेशा धार्मिक आधार पर काटा गया है और इसकी पीड़ा की अनुभूति के बजाय कथित सेकुलर प्रजाति ने कभी मौन तो कभी मुखर समर्थन किया है।जब हिंदुओं की लाशों पर खड़ा पाकिस्तान इस्लामिक स्टेट बन गया तो हिन्दुस्थान को भी उसी समय हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था। संविधान निर्माण की प्रक्रिया के प्रारम्भ के 30 वर्षों तक संविधान में कहीं सेकुलर शब्द का जिक्र नहीं था, परन्तु राजनीतिक लाभ के लिए 1976 में प्रस्तावना में सेकुलर शब्द जोड़ा गया । स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि अनादि काल से हिन्दू राष्ट्र रहे हिन्दुस्थान का सेकुलर हो जाना भी समस्त हिन्दू समाज के लिए उसी प्रकार कलंक है ,जिस तरह अयोध्या में बाबरी का होना। लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के बाद हिन्दू समाज ने अयोध्या के दाग को तो धो दिया परन्तु हिन्दुस्थान के हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित होने का स्वप्न अधूरा है, जिसे पूरा करना उनके जीवन का अन्तिम उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि विधर्मियों से राष्ट्र की रक्षा के लिए ही भगवान आदि शंकराचार्य ने देश की चारों दिशाओं में चार पीठों व संघर्ष के लिए अखाड़ों की स्थापना की थी। आज पुनः उसी उद्देश्य के साथ शंकराचार्य परिषद ने भी पूरी योजना व शक्ति के साथ इस समरभूमि में मोर्चाबंदी की है। वक्त आ गया है कि धर्म की जय हो,अधर्म का नाश हो को चरितार्थ किया जाए। धर्म केवल सनातन धर्म है। बाकी पंथ या मजहब हैं। देश का हिन्दू जाग चुका है और निश्चित ही आगामी चार वर्षों में अपना देश हिन्दू रिपब्लिक ऑफ हिन्दुस्थान के रूप में स्थापित होगा। हिन्दुस्थान समाचार /विक्रम/मुकुंद-hindusthansamachar.in

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