उत्तरकाशी, (हि.स.)। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के यमुनोत्री हाइवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल हादसे की जांच को गठित 6 सदस्य विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में भारी खामियां पाई गई हैं। सूत्रों का कहना है जांच रिपोर्ट में कहा गया कि जहां भूस्खलन हुआ वो सुरंग का सिर ज़ोन है। सिर ज़ोन यानी बहुत संवेदनशील चट्टान जहां पर उसके ऊपर-नीचे निर्माण करना बहुत ही खतरनाक होता है।
जांच समिति ने प्रारंभिक रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है
सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि उसने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। समिति में हिमालय वाडिया इन्स्टीट्यूट के साथ ही भू-वैज्ञानिक, टनल एक्सपर्ट आदि शामिल थे। समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में केंद्र सरकार को ये बताया है कि जहां भूस्खलन हुआ वो "सिर ज़ोन" है, सिर ज़ोन यानी बहुत संवेदनशील चट्टान जहां उसके ऊपर और नीचे पर निर्माण करना बहुत ही खतरनाक होता है। यदि जहां मलबा गिरा है यदि "सिर ज़ोन" है यानी संवेदनशील चट्टान है तो फिर तो वहां पर जो सुरंग का अलाइनमेंट है वो पूरा का पूरा ही गलत होता दिख रहा है, क्योंकि जो उनके नीचे से सुरंग का जाना यानी अलाइनमेंट का गड़बड़ है। जांच कमेटी ने इस तरह की और भी तमाम खामियां पाई हैं। इतना ही नहीं जांच कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा गया कि जहां पर गार्डर के रिब लगने चाहिए थे, वहां सरिया के लगाया गया जो कि नियम के विपरीत व बड़ी खामी है।
पहाड़ी के ऊपर आधा अधूरा गड्ढे को खुला छोड़ रखा है
गौरतलब है कि सिलक्यारा सुरंग में रेस्क्यू के दौरान वर्टिकल ड्रिलिंग भी ऊपर से गई थी । जिससे पहाड़ी के ऊपर आधा अधूरा गड्ढे को खुला छोड़ रखा है। ऐसे में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्रीवास्तव कार्यदायी संस्था एनएचआइडीसीएल एवं नवयुगा इंजीनियरिंग लिमिटेड कंपनी ने पर कार्रवाई कर सकती है। हालांकि जांच रिपोर्ट में क्या है आया है, इसका कोई खुलासा नहीं हुआ?
सुरंग का काम पूरा किया जाएगा- केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह
उधर उत्तराखंड सरकार ने सुरंग हादसे की जांच पूर्व में 6 सदस्यीय टीम से करवाई थी, उस रिपोर्ट का खुलासा भी नहीं हुआ है। इस घटना से सुरंग के भविष्य को लेकर प्रश्न उठने लगे हैं। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि सुरंग के जिस हिस्से में भूस्खलन होने से श्रमिक भीतर फंस गए थे, उसका उपचार कैसे और कब होगा। हालांकि इस बारे में केंद्रीय राज्य मंत्री वीके सिंह पहले ही कह चुके हैं कि इस सुरंग का काम पूरा किया जाएगा।
क्या था पूरा मामला?
बीती 12 नवंबर को दीवाली की तड़के सिलक्यारा से बड़कोट तक निर्माणधीन 4.50 किलोमीटर सुरंग में भूस्खलन हादसा अंतरराष्ट्रीय स्तर तक चर्चित रहा था। इसमें 41 श्रमिक सुरंग में फंस गये थे। राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर के संसाधन और वैज्ञानिक सलाहकारों ने पूरी शिद्दत के साथ रेस्क्यू आपरेशन किया और 17 दिन बाद 28 नवम्बर को सुरंग में फंसे सभी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नियमित रूप से इस रेस्क्यू आपरेशन पर अपनी नजर रख हुए थे।
केंद्रीय एजेंसियों को मिले थे प्रारंभिक जांच के आदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस रेस्क्यू आपरेशन पर पूरा फोकस रखा और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ,वीके सिंह तमाम नेताओं व पीएमओ ने लगातार अपनी नज़र बनाए रखे हुए थे। इस में जो केंद्रीय एजेंसियों को एक जांच समिति प्रारंभिक रिपोर्ट के लिए बनाई गई थी।
यमुनोत्री राजमार्ग पर चारधाम आल वेदर रोड परियोजना की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर को हुए भूस्खलन से फंसे 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया था। 28 नवम्बर को सभी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के बाद कंपनी के सभी मजदूर अपने घर छुट्टी चले गए हैं और कंपनी में पूरी तरह से सन्नाटा का माहौल है।
फिलहाल रेस्क्यू ऑपरेशन सफल होने के बाद से वहां पुलिस ने "नो एंट्री "के बोर्ड लगा रखे हैं और अब पुलिस के पहरा के बजाय पीआरडी पहरा है।
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