
उत्तरकाशी, (हि.स.)। उत्तराखंड उच्च न्यायालय, नैनीताल ने उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने संबंधी पीआईएल की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि सिलक्यारा सुरंग से कब मजदूर बाहर निकलेंगे। कोर्ट ने सरकार से 48 घंटे के भीतर जवाब मांगा है। इस निर्माणाधीन सुरंग में विभिन्न राज्यों के 41 मजदूर पिछले नौ दिन से फंसे हुए हैं।
अगली सुनवाई के लिए 22 नवम्बर की तिथि तय
सोमवार को कार्यवाहक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमारी तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए। उन्होंने इसकी अगली सुनवाई के लिए 22 नवम्बर की तिथि तय की है। खंडपीठ ने मिनिस्ट्री ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, सचिव लोक निर्माण विभाग, केंद्र सरकार और नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
41 मजदूर निर्माणाधीन टनल के अंदर फंसे
मामले के अनुसार, देहरादून बेस्ड समाधान एनजीओ ने जनहित याचिका दाखिल कर बताया कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा में बीती 12 नवम्बर से 41 मजदूर निर्माणाधीन टनल के अंदर फंसे हैं, लेकिन सरकार उनको अभी तक बाहर नहीं निकाल पाई है।
सरकार और अन्य कार्यदायी संस्थाएं सिलक्यारा में निर्माणाधीन टनल में फंसे मजदूरों की जान से खिलवाड़ कर रही हैं। उनको निकालने के लिए हर दिन नए-नए तरीके तलाशे जा रहे हैं, जिसके कारण उन मजदूरों की जान खतरे में पड़ी हुई है। इसमें कहा गया है कि इस लापरवाही देखते हुए उन पर आपराधिक मुदकमा दर्ज किया जाए।
पीएम मोदी ने धामी से फोन पर तीन बार की बातचीत
अपको बता दें इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा के पास टनल में फंसे श्रमिकों को लेकर चिंता व्यात की थी। उनके कार्यालय से भी बचाव अभियान पर नजर रखी जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से प्रधानमंत्री तीन बार बातचीत कर राहत और बचाव कार्य की प्रगति की जानकारी ले चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि केंद्र सरकार आवश्यक बचाव उपकरण और संसाधन उपलब्ध करा रही। केंद्रीय और राज्य की एजेंसियों के परस्पर समन्वय से श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। इस वक्त टनल में फंसे श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत है।
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