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आयुर्वेद में वैज्ञानिक अनुसंधान पतंजलि योगपीठ में ही संभवः मिश्रा

हरिद्वार, 26 मार्च (हि.स.)। विदेश मंत्रालय के सचिव अखिलेश मिश्रा अपनी पत्नी के साथ शुक्रवार को पतंजलि योगपीठ पहुंचे। पतंजलि पहुंचने पर आचार्य बालकृष्ण तथा स्वामी परमार्थदेव ने उनका स्वागत किया। सचिव मिश्रा ने पतंजलि के विविध सेवा प्रकल्पों के माध्यम से संचालित सेवा कार्यों का अवलोकन किया। उन्होंने पतंजलि अनुसंधान संस्थान स्थित ड्रग डिस्कवरी विभाग, पतंजलि साहित्यानुसंधान विभाग तथा पतंजलि औषधीय उद्यान का भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में इतना गहन अनुसंधान योग-आयुर्वेद की सबसे बड़े संस्थान पतंजलि योगपीठ के माध्यम से ही संभव है। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ स्थित आयुर्वेद भवन में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मिश्रा ने कहा कि पतंजलि समाजसेवा के साथ-साथ राष्ट्रसेवा व राष्ट्रोत्थान के महत्वपूर्ण कार्य में संलग्न है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज ऋषि-मुनियों की धरोहर प्राचीन पाण्डुलिपियों का संरक्षण व संवर्द्धन कर आचार्य बालकृष्ण दैवीय कार्य कर रहे हैं। सचिव ने प्राचीन ऋषि प्रणाली के अन्तर्गत संचालित शिक्षा, संस्कृति व संस्कार के दिव्य केन्द्र वैदिक गुरुकुलम् तथा वैदिक कन्या गुरुकुलम् के यज्ञीय वातावरण में संचालित केन्द्रों की सराहना की। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि ने आयुर्वेद को पूरे विश्व में पुनः प्रतिष्ठापित किया है। कोरोनाकाल में कोरोनिल इसका प्रामाणिक उदाहरण है। कोरोनाकाल में लोगों ने आयुर्वेद का लोहा माना है। कोरोनाकाल में जहां पूरा विश्व त्रहिमाम कर रहा था वहीं हमारे पारम्परिक योग व आयुर्वेद के सामने कोरोना बौना साबित हुआ। हमने आयुर्वेद के प्रयोगों से हेपेटाइटिस रोगियों को निगेटिव करके दिखाया है। कार्यक्रम में पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर, स्वामी परमार्थ देव, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्राध्यापक तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/मुकुंद

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