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राष्‍ट्रीय राजमार्ग की सलामती के लिए धारी देवी की शरण में अधिकारी

श्रीनगर, 01 जून (हि.स.)। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग की सलामती के लिए पीडब्ल्यूडी राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के अधिकारियों ने धारी देवी की शरण ली है। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से परेशान पीडब्ल्यूडी राष्ट्रीय राजमार्ग खंड के अधिकारी खासे परेशान हैं। अधिकारियों ने धारी देवी मंदिर जाकर पूजा-अर्चना करते हुए अतिवृष्टि रोकने और सड़क को दुरुस्त रखने की प्रार्थना की। अधिकारियों का कहना है कि जाने-अनजाने कोई गलती हुई हो तो धारी देवी से उसकी क्षमा मांगी गई है। ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग के बीच ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट कार्य अंतिम चरणों में है। लगभग 90 फीसदी राजमार्ग का चौड़ीकरण होने के बाद डामरीकरण भी हो चुका है। लेकिन इस साल जगह-जगह बादल फटने, अतिवृष्टि होने और भू-स्खलन होने से राजमार्ग बार-बार अवरुद्ध हो रहा है। इससे जनता तो परेशान है ही, पीडब्ल्यूडी का भी काफी नुकसान हो रहा है। सड़क चौड़ीकरण कार्य छोड़कर पीडब्ल्यूडी मार्ग खोलने में लगा है। दो दिन से श्रीनगर-रुद्रप्रयाग के बीच अतिवृष्टि के चलते नरकोटा में राजमार्ग बंद है। इससे पूर्व कलियासौड़ के समीप बादल फटने से कल्वर्ट और पुश्ते बह गए थे। जबकि 10 दिन पूर्व तोताघाटी में चट़्टान ही गिर गई थी। इससे परेशान पीडब्ल्यूडी ने धारी माता की शरण ली है। मंगलवार को पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता बलराम मिश्रा ने धारी मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की। मिश्रा ने बताया कि पिछले एक माह से जगह-जगह बादल फटने की घटना हो रही है, जिससे कनेक्टिविटी टूट रही है। यदि जाने -अनजाने कोई गलती हुई हो तो धारी देवी से गलतियों के लिए माफी मांगते हुए कल्याण की प्रार्थना की गई है। उल्लेखनीय है कि श्रीनगर से करीब 57 किलोमीटर दूर ऋषिकेश की ओर तोताघाटी में कई महीनों काम करने के बाद जब राजमार्ग नहीं खुल रहा था और कई मशीनें क्षतिग्रस्त हो गईं तब अक्टूबर 2020 में पीडब्ल्यूडी ने क्षेत्र की देवी चमराड़ा देवी की शरण ली थी। पीडब्ल्यूडी और ठेकेदार ने तोताघाटी में नया मंदिर बनाने का संकल्प लिया । इसके कुछ दिन बाद राजमार्ग खुल भी गया था। इसके अलावा श्रीनगर-रुद्रप्रयाग के बीच सिरोहबगड़ में भू-स्खलन से निजात पाने के लिए बीआरओ ने भी भगवान शिव की शरण ली थी। लाख कोशिशों के बाद भी सिरोबगड़ में यातायात सामान्य नहीं हो पा रहा था। यहां लगातार भू-स्खलन से काफी क्षति हो रही थी। तो बीआरओ के अधिकारियों ने सिरोहबगड़ में शिवजी का मंदिर स्थापित किया। इसके बाद यहां स्थिति नियंत्रण में आई थी। हिन्दुस्थान समाचार/ राज

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