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प्रत्येक प्राणी में वास करते हैं नारायणः शंकराचार्य

हरिद्वार, 06 अप्रैल (हि.स.)। जिस प्रकार पारस के स्पर्श से लोहा स्वर्ण हो जाता है। उसी प्रकार संत समाज के सानिध्य में आने पर व्यक्ति का स्वभाव बदल जाता है। उक्त उद्गार ज्योतिष एवं द्वारिका पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने बहादराबाद स्थित प्रभु कृपा महाशक्ति पीठ में आयोजित संत सम्मेलन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि सृष्टि के प्रारंभ में केवल परमात्मा ही थे। इस सत्य को ही भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। सत्य को ही नारायण कहते हैं जो मनुष्य के प्राणों में अंतर्यामी के रूप में वास करते हैं। इस अवसर पर निंरजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्म ऋषि कुमार स्वामी द्वारा प्रदान किए जाने वाले मंत्र की शक्ति अपार है। मंत्रों की शक्ति को अनुभव और अनुभूति से ही जाना जा सकता है। मंत्र के प्रभाव से ही वे निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर पद पर तथा कुमार स्वामी महामण्डलेश्वर पद पर पहुंचे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/मुकुंद

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