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जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर विमलगिरि ब्रह्मलीन

हरिद्वार, 08 मई (हि.स.)। श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के महामण्डलेश्वर श्रीमहंत विमलगिरि (45) ब्रह्मलीन हो गए। उन्हें कांगड़ी ग्राम स्थित श्रीमहंत प्रेमगिरि आश्रम में अखाड़े की संन्यास परम्परा के अनुसार भू-समाधि दी गयी। ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर विमलगिरि महाराज जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज के शिष्य थे। इसी कुम्भ में अप्रैल में आचार्य महामण्डलेश्वर श्रीमहंत अवधेशानंद गिरि महाराज ने उनका महामण्डलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक किया था। श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने उन्हे श्रद्वांजलि देते हुए बताया ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर विमल गिरि युवा संत थे तथा लगभग 20 वर्ष पूर्व वह उनके शिष्य बने थे। सनातन धर्म की रक्षा व अखाड़े की उन्नति व विकास कार्यों के लिए वह पूरे भारतवर्ष में भ्रमण करते रहते थे। उत्तर प्रदेश के पिलखुआ, बहराइच तथा बरेली में उन्होंने समाज तथा सर्वहारा वर्ग के लिए आश्रम स्थापित किए थे। अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर विमल गिरि को सच्चा संत बताते हुए कहा जूना अखाड़े ने एक अत्यंत कमर्ठ, जुझारू तथा योग्य धर्माचार्य को खो दिया है। जिसकी हमेशा कमी महसूस की जाती रहेगी। वह अखाड़े का स्वर्णिम भविष्य थे। उनके इस असमय निधन से पूरा संत समाज स्तब्ध है। भू-समाधि दिए जाने के अवसर पर अन्र्तराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी, श्रीमहंत मोहन भारती, थानापति रणधीर गिरि, आजाद गिरि, महंत गोविन्द गिरि, श्रीमहंत पशुपति गिरि सहित भक्तगण भी मौजूद थे। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत

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