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क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्थाओं पर हाई कोर्ट ने अपना निर्णय रखा सुरक्षित

नैनीताल, 20 मई (हि.स.)। हाई कोर्ट ने क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर जनहित याचिकाओं पर आज सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। गुरुवार को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को अवगत कराया गया कि राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए जो एसओपी जारी की है, वह सुप्रीम कोर्ट के 30 अप्रैल 2021 के आदेश का उल्लंघन है। जिसमें कहा गया है कि कोरोना संकट के दौरान किसी भी तरह की राजनैतिक व धार्मिक से संबंधित कोई गतिविधियां नही होंगी। लेकिन सरकार ने इस आदेश का उल्लंघन कर चारधाम यात्रा के लिए नई एसओपी जारी की है। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल च अन्य ने हाईकोर्ट में क्वारंटाइन सेंटरों व कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग अलग जनहित याचिकायें दायर की थी। पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं और सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग है कि वह केन्द्र सरकार को यह स्पष्ट करने के निर्देश दे कि सभी राज्यों में लगने वाले 551 आक्सीजन प्लांटों में से उत्तराखंड राज्य में कितने प्लांटों को मंजूरी दी है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार ने अपने मेडिकल पोर्टल में ऋषिकेश के एसपीएस हॉस्पिटल में 6 बैड आईसीयू होने की जानकारी दी गयी है, जबकि सीएमओ का कहना है कि वहां पर एक बेड भी आईसीयू का नही है। याचिकाकर्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति के लिए केन्द्र सरकार को आवेदन ही नही किया, जिससे अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी हुई। पहले सरकार को 74 हजार इंजेक्शन की मंजूरी दी गयी थी जिसे अब केंद्र ने बढ़ाकर 1लाख 24 कर दिया है। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अभी 310 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है। याचिकाकर्ता ने सुनवाई के दौरान कोर्ट को अवगत कराया कि जितने भी लोग बाहरी राज्यों से आ रहे हैंख् उन्हें 14 दिन के क्वारंटाइन में रखने का खर्च सरकार स्वयं वहन करें और नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत पिछले साल की तरह सरकार गरीब लोगों को निशुल्क अन्न मुहैया कराए। हिन्दुस्थान समाचार / लता नेगी

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