हरिद्वार, 27 मई (हि.स.)। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि व उनके शिष्य आनन्द गिरि के बीच चले विवाद और उसके बाद अचानक हुए माफीनामे तथा समझौते से संत समाज की बदनामी हुई है। इसके साथ ही सबसे अधिक फजीहत श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की हुई है। जिसके लिए अखाड़े को जांच कर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। उक्त बातें स्वामी रूद्रानंद गिरि महाराज ने जारी एक बयान में कही। स्वामी रूद्रानंद गिरि महाराज ने जारी बयान में कहा कि श्रीमहंत नरेन्द्र गिरि महाराज के पत्र पर एक दिन में ही जांच कर अखाड़े ने उनके शिष्य आनन्द गिरि को अखाड़े से निष्कासित कर दिया। उसके बाद शिष्य ने गुरु पर कई गंभीर आरोप लगाए। बावजूद इसके नाटकीय ढंग से अचानक दोनों के बीच समझौता हो गया और शिष्य के माफी मांगने पर गुरु ने माफ भी कर दिया। स्वामी ने कहा कि इस आपसी खींचतान में संतों की सबसे अधिक बदनामी हुई है। इसके साथ ही सबसे अधिक फजीहत श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की हुई है। इसके लिए अखाड़े के पंचों को जांच कर दोनों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करनी चाहिए। इससे ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति न हो सके और संत समाज बदनामी से बच सके। उन्होंने कहा कि जो आरोप शिष्य ने गुरु पर लगाए वह गंभीर हैं। अखाड़े को चाहिए की उनकी भी जांच हो और दंड मिले, जिससे संत परम्परा को कलंकित होने से बचाया जा सके। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत