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गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय में हर्षोल्लास से मनाया गया स्थापना दिवस

हरिद्वार, 04 मार्च (हि.स.)। गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय का गुरुवार को यज्ञ एवं कुल पताका आरोहण के साथ स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। गुरुकुल के मुख्य अधिष्ठाता डॉ. दीनानाथ शर्मा ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद एवं गुरुकुल के सम्बन्ध में अपने विचार प्रकट कर छात्रों एवं शिक्षकों को राष्ट्र प्रेम की प्रेरणा लेकर कार्य करना चाहिए। स्वामी श्रद्धानंद यदि ऋषि दयानन्द से प्ररेणा लेकर अपना सब कुछ समर्पित न करते तो आज गुरुकुल का यह दृश्य दिखाई न देता। सहायक मुख्याध्ष्ठिाता डॉ. नवनीत परमार ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद का समग्र जीवन राष्ट्र कल्याण एवं समर्पण के रूप में दिखाई देता है। उन्होंने गुरुकुलीय शिक्षा प्रणाली को पुनः स्थापित कर समाज को नवसर्गतः प्रदान की। उनका निर्भिक स्वतंत्रता सेनानी का स्वरूप इतिहास की एक अप्रतिम अवधारणा है, जिसकी झलक स्वतंत्रता आंदोलन में दिखाई देती है। प्रधानाचार्य डॉ. विजेन्द्र शास्त्री ने ब्रह्मचारियों को अवगत कराया कि 04 मार्च 1902 को स्वामी श्रद्धानंद ने 14 ब्रह्मचारियों के साथ कांगड़ी के बीहड़ में गुरुकुल स्थापना का उद्देश्य सत्यार्थ प्रकाश के द्वितीय-तृतीय समुल्लास का प्रभाव है। जो आज वट-वृक्ष के रूप में अनेकानेक लोगों को शीतलता दे रहा है। प्राध्यापक डॉ. योगेश शास्त्री ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद एक ऐसे दर्पण हैं जिन्होंने अपने जीवन के दुर्गुणों-अवगुणों को कल्याण मार्ग का पथिक पुस्तक में लिख कर समाज के सामने एक नया अध्याय प्रस्तुत किया। उनकी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली लार्ड मैकाले की शिक्षा का पुरजोर उत्तर था। इस अवसर पर गुरुकुल के ब्रह्मचारी अविरल वर्मा ने ऋषि दयानन्द के व्यक्तित्व एवं दार्शनिक पक्ष को वैदिकता की कसौटी पर रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत

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