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वन विभाग ने गिनाई उपलब्धियां, कुम्भ क्षेत्र की सुरक्षा के लिए लगाए विशेष सेंसर

हरिद्वार, 15 अप्रैल (हि.स.)। महाकुम्भ में मेला प्रशासन के साथ-साथ हर सरकारी महकमा कुम्भ के सफल आयोजन में अपनी भूमिका निभा रहा है। इसी क्रम में हरिद्वार वन विभाग भी पूरी तरह से मुस्तैद है, जो मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम से कम करने और कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं को वन्य जीवों से सुरक्षित रखने के लिए प्रयासरत है। वन विभाग (हरिद्वार) ने गुरुवार को पत्रकारवार्ता पर इस विषय पर जानकारी दी। डीएफओ नीरज शर्मा ने बताया कि कुम्भ विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। हरिद्वार का कुम्भ क्षेत्र चारों ओर से जंगलों से घिरा है। जिस कारण हरिद्वार में जंगली जानवरों के आबादी वाले क्षेत्रों में आने की घटनाएं आए दिन देखने को मिलती हैं। कुम्भ को देखते हुए वन महकमा वन्यजीवों के विचरण पर पैनी नजर रख रहा है। इसके लिए योजना भी बनाई गई है। जिसमें सोलर फेंसिंग, दीवार, तार के जाल और सुरक्षा खाई बनाई गई हैं। साथ ही निगरानी के लिये 8 चैकी, 5 वॉच टावर बनाये गए हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में 40 टीमें तैनात की गई हैं। जिसमें हर टीम में 6 से 7 कर्मचारियों की नियुक्ति की गई, जो 24 घंटे निगरानी करती रहती है। जिससे जंगली जानवरों के मूवमेंट की लगातार सूचना मिलती रहे और कुंभ के दौरान जंगली जानवर आबादी में न घुस सकें। उन्होंने बताया कि जंगल और कुंभ क्षेत्र की सीमा पर 20 रिपेलर्स सेंसर लगाए गए हैं और 50 और लगाए जाने हैं। जिन हर एक सेंसर की कीमत 18 हजार है। ये सेंसर 30 से 40 फीट की दूरी पर से ही जंगली जानवरों की मौजूदगी का पता लगा लेते हैं। जिससे जंगली जानवरों की वास्तविक लोकेशन का पता लग सकता है। हिन्दुस्थान समाचार /रजनीकांत

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