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आज भी लोग प्रतापनगर को जिला बनाने की कर रहे मांग

नई टिहरी, 04 मार्च (हि.स.)। ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में राजा प्रताप शाह के बसाये गये प्रताप नगर तहसील मुख्यालय को आज भी लोग जिला मुख्यालय बनाने की मांग कर रहे हैं। वर्षों से चली आ रही इस मांग को लेकर आम लोग आज भी मुखर हैं। आने वाले विधानसभ चुनावों में लोग इस मुद्दे को लेकर उम्मीदवारों से सवाल-जवाब करेंगे। जिला मुख्यालय न बनने से कई सुविधाओें का आज भी प्रतापनगर में अभाव है। वर्तमान में प्रतापनगर के हालात यह हैं कि यहां का ऐतिहासिक राजमहल कोर्ट भी खंडहर में तब्दील हो गई है। यहां के लोगों को जिला मुख्यालय नई टिहरी में विभिन्न सरकारी कामों के लिए लंबी दौड़ लगानी पड़ती है। जिसमें समय व पैसे की बर्बादी होती है। स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर खुले अस्पतालों में सुविधाएं न होने से लोगों को उपचार के लिए देहरादून व ऋषिकेश की दौड़ लगानी पड़ती है। मांग करने के बाद भी यहां मुंसिफ कोर्ट नहीं खुल पाई, जिससे न्याय पाने के लिए लोगों को नई टिहरी का सफर आज भी तय करना पड़ रहा है। राज्य आंदोलनकारी देवी सिंह पंवार बताती हैं कि प्रतापनगर को जिला बनाने के लिए लंबगांव में टिहरी बांध की विशाल झील बनने के बाद लगातार धरना-प्रदर्शन व आमरण अनशन किया। जिस पर तत्कालीन गढ़वाल आयुक्त सुभाष कुमार ने लंबगांव पहुंचकर आंदोलन को खत्म करवाया। प्रताप नगर क्षेत्र के लोगों ने भी यहां की विभिन्न अहम मांगों को शासन से स्वीकृत करने का आश्वासन देने पर आंदोलन स्थगित किया। लेकिन 15 वर्ष गुजरने के बाद भी अभी तक क्षेत्र की समस्या जस की तस बनी हुई है। इसे लेकर आम लोगों में रोष है। आने वाले चुनावों में मैदान में उतरने वाले उम्मीदवारों को भी जबाब देना होगा। क्या कहते हैं प्रतापनगर के निवासी पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य महावीर सिंह, भरत सिंह रावत, सरोप सिंह पवार, रायदास, प्रधान राजेश्वरी देवी आदि का कहना है कि प्रताप नगर क्षेत्र में सुविधा नहीं होने से ढुग मंदार, धारमंडल, रैका, ओण, भदूरा, उपली रमोली, रौणद रमोली पट्टी के लोगों की प्रताप नगर को जिला बनाने की मांग सरकार सहित शासन-प्रशासन की उपेक्षा के कारण अब तक पूरी नहीं हो पाई है। जिसे लेकर मुखर होकर आज भी लोग प्रतापनगर को जिला मुख्यालय बनाने की पहल करने की ओर चिंतित हैं। हिन्दुस्थान समाचार/प्रदीप डबराल/

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