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दस साल बाद सूख जाएंगे अस्सी फीसदी जलस्रोत: डॉ. त्रिलोक चन्द्र सोनी

रुद्रप्रयाग, 16 अप्रैल (हि.स.)। जंगलों में लग रही आग की घटनाओं को रोकने के लिए पर्यावरणविद वृक्षमित्र डाॅ. त्रिलोक चन्द्र सोनी काफी चिंतित हैं। उन्होंने चमोली जनपद का भ्रमण करने के बाद रुद्रप्रयाग पहुंचकर पत्रकारों से वार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आगजनि से पूरे पहाड़ धधक रहे हैं, उससे वातावरण दूषित हो रहा है। समय रहते इन पर रोक नहीं लगाई गई तो वो दिन दूर नहीं होगा, जब सांस, आंखों व त्वचा की बीमारी होगी। इस प्रकार के तपिश से आने वाले दस सालों में अस्सी प्रतिशत जलस्रोत सूखने के कगार पर होंगे, जिसका सीधा असर हमारे खेतों, जानवरों व जंगलों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि फायर सीजन के बजट का लाभ ग्राम प्रधानों, वन सरपंचों को मिले और अपने गांव से लगे जंगलों की जम्मेदारी प्रधानों व वन पंचायतों को दी जाए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार वन व जंगली जानवरों के तस्करों के लिए जंगलों में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। ठीक वैसे ही उत्तराखंड के जंगलों में भी लगाये जाएं। तभी इस मानव जनित आपदा पर रोक लगेगी। इसके लिए जन-जन को आगे आने की जरूरत है। वन पंचायतों को सशक्त बनाने के साथ ही जंगलों की जिम्मेदारी उन्हें दी जाए, ताकि वह भी अपना योगदान उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नि रोकने पर कर सकें। हिन्दुस्थान समाचार/रोहित

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