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विश्व दुग्ध दिवस पर ई गोष्ठी में पशु उपयोगिता पर चर्चा

नई टिहरी, 01 जून (हि.स.)। विश्व दुग्ध दिवस मौके पर प्रसार निदेशालय के निर्देशन में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी व वानिकी विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र रानीचौरी एवं भरसार ने संयुक्त रूप से ई गोष्ठी का आयोजन कर पशु स्वास्थ्य व उपयोगिता विषय पर चर्चा की। कुलपति प्रो. एके कर्नाटक ने विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर उत्तराखण्ड के परिवेश में पशुपालन की महत्ता एवं उपयोगिता के बारे में अवगत कराया। विशेष रूप से उत्तराखण्ड की बदरी गाय का जिक्र करते हुये उसके दूध की गुणवत्ता व उपयोगिता के बारे में बताते हुये कहा कि डा. वर्गीज कुरियन श्वेत क्रान्ति के जनक के रूप में विश्व में सबसे बडे दुग्ध उत्पादक के रूप में देश को उबारने मेअहम रोल में रहे। विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार प्रो. सी तिवारी ने पर्वतीय क्षेत्रों में पशुपालन की उपयोगिता के विषय में चर्चा करते हुये बकरी पालन, कुकुट पालन तथा एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया। डा. अरविन्द बिजल्वाण ने पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि वानिकी तकनीकी से चारा उत्पादन के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी साझा की। पहाड पर बांज, भीमल व खड़िक चारा पत्ती वृक्ष, हाईब्रिड नेपियर और अन्य चारा फसलों की उत्पादन तकनीकी के बारे में अवगत कराया। पशुपालन विभाग से डा. पीके सिंह और डा साक्षी बिजल्वाण ने सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी दी। कीर्ति कुमारी ने दुग्ध उत्पादन तकनीकी के बारे में विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन डा. आलोक येवले व डा शिखा ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/प्रदीप डबराल

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