धामी सरकार ने विधानसभा में पेश किया समान नागरिक संहिता बिल, जानिए क्या है एक राज्य एक कानून UCC बिल?

Uttarakhand UCC Bill: 2 सालों बाद उत्तराखंड की धामी सरकार ने अपना वादा निभाते हुए यूसीसी बिल पेश कर दिया। राज्यपाल द्वारा बिल पास किए जाने के बाद राज्य में एक कानून व्यवस्था सभी के लिए लागू हो जायेगी।
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। उत्तराखंड की धामी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को धरातल में उतारने की तैयारी पूरी कर ली है। धामी सरकार ने सोमवार को विधानसभा में UCC बिल पेश किया। इस बीच विपक्ष के द्वारा सदन में हंगामा भी देखने को खूब मिला। यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल का विपक्ष ने जमकर विरोध किया। आपको बता दें कि सदन में जैसे ही विधेयक बिल को पेश किए जाने की घोषणा की गई। तो कांग्रेस की ओर से आपत्ति जताई गई। प्रश्न काल और शून्य काल को स्थगित किए जाने के विरोध में विपक्षी दल ने बैठक का पूर्ण बहिष्कार किया। सदन में ड्रामा यही नहीं रुका, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और विधायक प्रीतम सिंह ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। आपको बता दें कि यह बिल अभी राज्यपाल को भेजा जाएगा। राज्यपाल की मुहर लगने के बाद ही इसे लागू किया जा सकेगा। वहीं बिल की तुलना गोवा में लागू UCC से की जा रही है।

क्या है UCC ?

UCC यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड जिसे सामान नागरिक संहिता भी कहते हैं। इसे लागू किए जाने के बाद देश एक कानून से चलता है। जिस देश में भी समान नागरिक संहिता लागू की जाती है। उस देश में विवाह , तलाक,बच्चा गोद लेना यहां तक की संपत्ति बंटवारे से लेकर अन्य सभी विषयों पर जो भी कानून बनाए गए हैं वह देश के सभी धर्म के नागरिकों पर सामान लागू किए जाते है। आपको बता दें कि मौजूदा समय में भारत में कई कानून धर्म के आधार पर तय किए गए हैं। अगर भविष्य में उत्तराखंड की तरह देश में भी यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट लागू होता है। तो फिर भारत में एक देश एक कानून चलेगा।

उत्तराखंड यूसीसी की मुख्य 12 बातें

* सभी धर्म के लिए विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।

* पति और पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी संभव नहीं होगी।

* संपति में महिलाओं को भी पुरुषों की तरह बराबरी का अधिकार दिया जाएगा।

* बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए देखभाल के लिए भरण पोषण का प्रावधान किया गया है।

* सभी समुदाय की युवतियों के लिए विवाह की आयु सामान रखी जाएगी।

* जायज और नाजायज संतानों का भेदभाव खत्म किया जाएगा।

* जो लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं उनके लिए डिक्लेरेशन होना जरूरी होगा।

* सभी महिलाओं को गोद लेने का अधिकार होगा। यहां तक की मुस्लिम महिलाएं भी बच्चा गोद ले सकती है।

* हलाला और इद्दत पर रोक होगी।

* बच्चों के अनाथ होने के स्थिति पर माता-पिता की प्रक्रिया आसान की जाएगी।

* पति-पत्नी के झगड़े के बी बच्चों की कस्टडी को ग्रैंड पेरेंट्स को दी जाएगी।

* पति और पत्नी दोनों को सामान तलाक लेने का अधिकार होगा। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए होगा वही पत्नी के लिए लागू होगा।

मुख्यमंत्री धामी ने क्या कहा?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफार्म सिविल कोड को प्रदेशवासियों के लिए गर्व का क्षण बताया। बिल पेश करने से पहले उन्होंने अपने एक्स पर लिखा कि देवभूमि उत्तराखंड के नागरिकों को एक समान अधिकार देने के उद्देश्य से विधानसभा में समान नागरिक संहिता का बिल पेश किया जाएगा। यह हम सभी प्रदेशवासियों के लिए गर्व का क्षण है। हम UCC लागू करने वाले देश के पहले राज्य के रूप में जाने जाएंगे।

UCC लागू करने वाला गोवा पहला राज्य

करीब 14 लाख की आबादी वाला गोवा UCC लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है।जिसे गोवा सिविल कोड के नाम से भी जाना जाता है। गोवा में सभी धर्म के लिए एक ही फैमिली लॉ है। यूसीसी के मुताबिक गोवा में मुस्लिम परिवार ट्रिपल तलाक नहीं दे सकता। बिना रजिस्ट्रेशन कराए शादी अमान्य मानी जाती है। मुसलमानों को चार शादी करने का अधिकार नहीं है। जबकि हिंदू दो शादी कर सकते हैं। आपको बता दें कि गोवा में पुर्तगालियों ने 1867 में यह कानून लागू किया था।। इसके बाद गोवा जब भारत में विलय हुआ। तब भी यह कानून लागू है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जब गोवा का दौरा किया था। तब उन्होंने इस कानून की प्रशंसा की थी।

UCC पर दुनिया का रुख

अगर दुनिया के नजरिए से यूनिफॉर्म सिविल कोड की बात करें तो कई ऐसे देश हैं।जहां यह कानून लागू है। हैरानी की बात यह है कि इसमें कई सारे मुस्लिम देश भी शामिल हैं। अमेरिका मिश्र, सूडान ,बांग्लादेश, पाकिस्तान , आयरलैंड,मलेशिया, इंडोनेशिया, तुर्की, इसके अलावा कई यूरोपीय देश भी शामिल हैं।

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