Uttarakhand: बाबा रामदेव को बड़ा झटका, उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि के 14 प्रोडक्टस पर लगाया बैन, लाइसेंस सस्पेंड

Uttarakhand News: उत्तराखंड के लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने पतंजलि के 14 उत्पादों के परमिट को कैंसिल कर दिया है।
Patanjali 
Baba Ramdev 
Acharya Balkrishan
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। उत्तराखंड के लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने बाबा रामदेव की पतंजलि की दिव्य फार्मेसी द्वारा बनाए गए 14 उत्पादों का लाइसेंस कैंसिल कर दिया है। पतंजलि द्वारा बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित होने और पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त कार्यवाई को बाद इन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया गया है। सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई होगी।

किन उत्पादों के लाइसेंस हुए कैंसिल

इंडियन मेडिल एसोसिएशन ने योगगुरु बाबा रामदेव और पतंजलि के डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण द्वारा कोविड महामारी के दौरान, पतंजलि के उत्पादों से कोविड के इलाज का झूठा दावा करने के खिलाफ ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ एक्ट का उल्लंघन पर आपराधिक शिकायत दर्ज की। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिबंधित उत्पादों में दिव्य फार्मेसी की दृष्टि आई ड्रॉप, स्वासारि गोल्ड, स्वासारि वटी, ब्रोंकोम, स्वासारि प्रवाही, स्वासारि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर और लिवामृत शामिल हैं।

भ्रामक विज्ञापनों का है मामला

रामदेव बाबा और पतंजलि के डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका है। रामदेव बाबा को टीवी शो, योग और आयुर्वेदिक उपायों से बीमारियों के उपचार से लोकप्रियता मिली थी। सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि कंपनी के खिलाफ चर रहे मुकदमे के दौरान, आयुर्वेदिक दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए चल रहे मुकदमे में अपने निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की बार-बार आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट में 15 अप्रैल को मामले की सुनवाई के बाद, उत्तराखंड के लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने पतंजलि के 14 उत्पादों के परमिट को कैंसिल कर दिया।

पतंजलि पर सुप्रीम कोर्ट का ऐक्शन

सुप्रीम कोर्ट में 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन देने के मामले में बाबा रामदेव और पतंजलि का माफीनामा अस्वीकार कर दिया था। कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के ड्रग ऑफिसर और लाइसेंसिंग ऑफिसर को भी सस्पेंड करने का आदेश दिया था। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2018 से लेकर अब तक हरिद्वार के आयुर्वेदिक और यूनानी जिला अधिकारियों से 2 हफ्ते में हलफनामा दायर कर बताने को कहा कि उन्होंने पतंजलि से जुड़ी शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से कहा कि ऐसा 6 बार हुआ है लेकिन लाइसेंसिंग इंस्पेक्टर चुप रहा। दिव्य फार्मेसी पर अधिकारी की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं बनाई गई। उन तीनों अधिकारियों को तुरंत निलंबित कर दिया जाना चाहिए।

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