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दिव्यांगों की प्रतिभा निखारें सक्षम: शशिकांत दीक्षित

देहरादून, 23 जून (हि.स.)। विकलांगों को समर्पित संस्था सक्षम द्वारा प्रकाशित स्मारिका ‘समर्पण’ का लोकार्पण राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रांत कार्यालय तिलक रोड पर सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यवाह शशिकांत दीक्षित उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व हिन्दू परिषद गौरक्षा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जय प्रकाश गर्ग ने की। कार्यक्रम का संचालन अनिल मिश्र एवं धन्यवाद ज्ञापन नलिन भट्ट द्वारा किया गया। अपने उद्बोधन में मुख्य वक्ता शशिकांत दीक्षित ने कहा कि सक्षम जिन उद्देश्यों को लेकर चल रही है वह उसमें पूरी तरह सक्षम है। शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र को लेकर दिव्यांगों की प्रतिभा निखारने का काम संगठन द्वारा किया जा रहा है जो अपने आप में सराहनीय है। संगठन को ई-लाइब्रेरी, ब्रेल लिपि तथा अन्य माध्यमों से दिव्यांगों के लिए पठन-पाठन का भी प्रबंध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन कैसे समाज में अपनी भूमिका निभाएं, यह सामाजिक चिंता और चर्चा का अंग है। सक्षम के साथ ही तमाम स्वयंसेवी लोग इस काम में लगे हुए हैं। मुख्य वक्ता शशिकांत दीक्षित ने बताया कि देहरादून महानगर में 1964 में नेत्रदान का कार्यक्रम चलाया गया था। कोर्निया प्रत्यारोपण का यह अभियान अधिवक्ता प्रमोद वैश्य ने चलाया था। इसी कड़ी में प्रोफेसर देवेंद्र राहिनवाल का नाम प्रमुख है जो एक दुर्घटना में दिव्यांग हो गए थे। टांग कटने के बाद उन्होंने अपना पूरा समय दिव्यांजनों के लिए समर्पित कर दिया और दिव्यांगों की योग्यता और क्षमता निखारने का काम किया। आज भी समाज ऐसे तमाम लोग हैं जो भले ही सक्षम से न जुड़े हों पर सेवाकार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख जगदीश ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की प्रेरणा से समाज में तमाम सेवाकार्य किए जा रहे हैं। सक्षम का कार्य भी इसी में शामिल है। हम जनता के सहयोग से इस तरह के संगठनों के माध्यम से उपेक्षितजनों की सेवा करते हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्र समरसता प्रमुख लक्ष्मी प्रसाद जयसवाल ने कहा कि सक्षम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का एक घटक है और विशेष बिन्दु पर कार्य कर रहा है। इस सेवाकार्य की सराहना की जानी चाहिए। उन्होंने आज के दिन की सार्थकता की चर्चा करते हुए कहा कि आज हिन्दू साम्राज्य दिवस है। 1674 में इसी दिन शिवाजी महाराज ने हिन्दू पद पादशाही स्थापना की थी। भले हम शिवाजी को देश में अपेक्षित सम्मान दे पाए हों लेकिन वियतनाम के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष ने उनका अनुसरण किया था और उनकी समाधि पर लिखा हुआ है शिवाजी का एक सैनिक। वहां के विदेश मंत्री जब भारत आए थे तो उन्होंने शिवाजी महाराज की समाधि पर जाने की इच्छा व्यक्त की और रायगढ़ जाकर वहां की मिट्टी ले गए। उन्होंने 26 जून 1977 को इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल को भी काला दिन की संज्ञा दी तथा कहा कि हमें इन तिथियों का स्मरण रखना चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्ष जय प्रकाश गर्ग ने सेवा को भक्ति का माध्यम बताते हुए कहा कि सेवा और भक्ति एक सिक्के के दो पहलू है, इससे हमें ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि सक्षम से जुड़े लोग तन, मन, धन तीनों का अनुसरण करें। कार्यक्रम में राष्ट्रीय कार्य समिति सदस्य एवं सक्षम के क्षेत्रीय प्रभारी राम कुमार मिश्र ने भी विचार व्यक्त किए। हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती

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