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'त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे ब्रह्मलीन लखन गिरी'

हरिद्वार, 10 मई (हि.स.)। महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखन गिरी महाराज त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। वह बहुत ही सरल और मधुरभाषी संत थे। मायापुर स्थित श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखन गिरी महाराज को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखन गिरी द्वारा कई सेवा के प्रकल्प चलाए जाते थे। वह हमेशा सभी संतों का सत्कार करते थे। उनके बताए मार्ग पर चलना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज एवं महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने अपने संदेश में ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखन गिरी महाराज को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें एक दिव्य संत बताया। श्रीमहंत रवींद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखन गिरी महाराज एक दिव्य महापुरुष थे। श्रीमहंत दिनेश गिरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और महापुरुषों ने सदैव ही समाज को नई दिशा प्रदान की है। स्वामी रघु वन महाराज ने सभी संतों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। समाज कल्याण के लिए उनकी आत्मा सदा व्यवहारिक रूप से उपस्थित रहती है। इस दौरान श्रीमहंत शंकरानन्द सरस्वती, महंत गिरजानन्द सरस्वती श्रीमहंत राधे गिरी, महंत नीलकंठ गिरी, महंत नरेश गिरी, महंत केशव पुरी, स्वामी आलोक गिरी, दिगंबर गंगागिरी, दिगंबर बलवीर पुरी, दिगंबर आशुतोष पुरी, स्वामी मधुर वन, स्वामी रविवन सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीकांत/चंद्र

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