सशक्त व अखण्ड राष्ट्र के लिये सामाजिक समरसता अनिवार्य-इंद्रेश कुमार
-श्रीराम आश्रम लमही में रामपंथ की पहली कार्य योजना कार्यक्रम का शुभारम्भ वाराणसी, 12 दिसम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने शनिवार को कहा कि रामपंथ सभी धर्मों, जातियों, पंथों के बीच सेतु की तरह काम करके सबको एक साथ जोड़ने का काम करेगा। इस सांस्कृतिक पुनर्जागरण के जरिये जाति वैमनस्य को खत्म कर धार्मिक हिंसा से समाज को मुक्त कराने और स्थायी रूप से शांति की स्थापना करने की योजना पर कार्य होगा। विशाल भारत संस्थान एवं श्रीराम आश्रम की ओर से इन्द्रेश नगर लमही के श्रीराम आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में इंद्रेश कुमार लोगों को सम्बोधित कर रहे थे। भगवान श्रीराम की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर रामपंथ की पहली कार्य योजना कार्यक्रम का शुभारम्भ कर उन्होंने बताया कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रतीक स्वरूप रामपंथ की स्थापना की गई। रामपंथ के आचार्य अखण्ड भारत की सांस्कृतिक सीमाओं को जोड़ने हेतु सांस्कृतिक आन्दोलन चलायेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि सशक्त व अखण्ड राष्ट्र के लिये सामाजिक समरसता अनिवार्य है। रामपंथ के सूत्र वाक्य सबके राम सबमें राम को जन.जन तक व्यवहारिक स्तर पर प्रचारित और प्रसारित किया जायेगा। सांस्कृतिक पुनर्जागरण के जरिये विश्व को सनातन संस्कृति की उदारता और लोककल्याण की भावना से परिचित कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि विश्व के सांस्कृतिक महानायक भगवान श्रीराम के इतिहास से यदि सब परिचित हो जायें तो संघर्ष की स्थिति कम होगी चाहे वह परिवार में हो या देश में। कार्यक्रम में श्री राम आश्रम के प्रमुख डॉ. राजीव ने कहा कि राम सबके है तो फिर राम को मानने में भेद कैसा फिर राम सबमें है तो किसी व्यक्ति से जाति, धर्म के नाम पर भेद किस लिए। मानव से सृष्टि के संबंधों की व्याख्या है रामपंथ। कार्यक्रम की अध्यक्षता चिंतक चट्टो बाबा और संचालन अर्चना भारतवंशी ने किया। कार्यक्रम में प्रो. एसपी सिंह, नाजनीन अंसारी, नजमा परवीन, डा. मृदुला जायसवाल, मो. अजहरूद्दीन, डा. मुकेश प्रताप सिंह, इली भारतवंशी आदि उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दीपक-hindusthansamachar.in