संजीत हत्याकांड : पूर्व सीएम अखिलेश यादव से मिलने जा रहे परिवार को पुलिस ने रोका
संजीत हत्याकांड : पूर्व सीएम अखिलेश यादव से मिलने जा रहे परिवार को पुलिस ने रोका

संजीत हत्याकांड : पूर्व सीएम अखिलेश यादव से मिलने जा रहे परिवार को पुलिस ने रोका

- पुलिस ने दूसरी बार परिजनों को लखनऊ जाने से रोका - पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की गुहार लगाने के लिए जा रहा था परिवार कानपुर, 27 अगस्त (हि.स.)। बर्रा के पैथालॉजी कर्मी संजीत यादव के अपहरण व हत्याकांड में पुलिस द्वारा किया गया खुलासा सवालों के घेरे में हैं। एक महीना से अधिक हुए हत्याकांड के खुलासे के बावजूद पुलिस अभी तक न तो शव को खोज सकी न ही कोई ठोस सबूत मिला। इसको लेकर परिजन लगातार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं और न्याय की गुहार के लिए परिजन 14 अगस्त को पैदल ही लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिए निकल गया था। इस पर पुलिस ने आश्वासन देकर रोक लिया और एक बार फिर गुरुवार को पुलिस ने परिजनों को लखनऊ जाने से रोक दिया। इस बार परिजन पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने जा रहा था। बर्रा छह के ईडब्ल्यू कालोनी निवासी चमन यादव का एकलौता बेटा संजीत यादव पैथालॉजी कर्मी था। संजीत 22 जून से लापता था और परिजन गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करायी थी, फिर फिरौती की कॉल आने पर मुकदमा अपहरण का दर्ज कर लिया गया। परिजनों के मुताबिक पुलिस ने ही फिरौती की 30 लाख रुपये दिलाये और 23 जुलाई को घटना का खुलासा हुआ। गिरफ्तार किये पांच हत्यारोपियों ने बताया था कि 26 जून को संजीत की हत्या कर शव को पाण्डु नदी में फेंक दिया गया था। हत्यारोपियों की निशानदेही पर पुलिस संजीत के शव को पाण्डु नदी में तलाश की पर सफलता नहीं मिली। इसके बाद पुलिस पर परिजनों का विश्वास हट गया और दो अगस्त को शास्त्री चौक धरना देकर सीबीआई जांच की मांग की। इस पर अधिकारियों और भाजपा विधायक सुरेन्द्र मैथानी ने आश्वासन दिया था कि मामले की जांच सीबीआई से करायी जाएगी। इसके बाद न तो सीबीआई जांच की प्रक्रिया बढ़ी न तो पुलिस की कार्यशैली में कुछ खास बदलाव दिखा। इस पर नाराज परिजन 14 अगस्त को पैदल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिलए लखनऊ निकल पड़ा, जानकारी पर पुलिस ने जबरदस्ती परिजनों को रोक लिया और कई घंटों तक पुलिस से नोकझोक हुई। इसके बाद 25 अगस्त को एक बार फिर परिजनों का धैर्य टूट गया और शास्त्री चौक पर फिर धरने में परिवार बैठ गया। इस बार पुलिस ने फिर जबरदस्ती परिजनों को धरना स्थल से उठाकर घर भेज दिया। पुलिस की ज्यादती का वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। 26 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा नेता सम्राट विकास यादव के फोन से परिजनों से बातचीत की। इसके बाद गुरुवार को सपा नेता विकास अपनी गाड़ी से परिजनों को पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलाने के लिए निकल पड़े। पुलिस को जैसे ही जानकारी मिली तो आनन-फानन में जनपद की सीमा पार करने से पहले रामादेवी फ्लाईओवर में रोक लिया गया। सीओ गोविंद नगर ने समझाने का प्रयास किया लेकिन वे अड़े रहे। बाद में पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री के बुलावे का पत्र दिखाने को कहा, जिसे संजीत के स्वजन नहीं दिखा सके। इस पर उन्हें पुलिस ने लखनऊ नहीं जाने दिया है, संजीत के पिता चमन यादव, मां कुसुमा व बहन रुचि सपा नेता के साथ कार से लखनऊ के लिए निकले थे। सपा नेता ने पुलिस को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से फोन पर बातचीत के दौरान मिलने की इच्छा जाहिर की थी। इस पर उन्हें गुरुवार को लखनऊ बुलाया था। इसकी जानकारी वह एसपी साउथ को दे चुके हैं। इस दौरान पुलिस ने संजीत के परिवार से पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने जाने के लिए जारी किया गया पत्र मांगा, जिसे ना दिखा पाने पर पुलिस ने उन्हें घर लौटा दिया। सीओ गोविंद नगर वीके पांडे ने बताया कि संजीत के स्वजन की लखनऊ जाने की सूचना मिली थी। उन्हें रामादेवी फ्लाईओवर पर रोका गया तो परिवार ने पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने जाने की जानकारी दी। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के ऑफिस से जारी पत्र मांगा, जिसे ना दिखा पाने के कारण परिवार को लखनऊ नहीं जाने दिया गया है। परिवार से यह कहा गया है कि अगर वह पूर्व मुख्यमंत्री से मिलना चाहते हैं तो उनके ऑफिस से जारी पत्र की एक कॉपी थाने में जमा करवा दें ताकि उनकी सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई जा सके। वहीं पीड़ित परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस न तो कार्यवाही करती है न ही हमें मुख्यमंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री से मिलने दे रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित-hindusthansamachar.in

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