लक्षित समूहों तक पहुंचकर एनीमिया को हराएंगे
लक्षित समूहों तक पहुंचकर एनीमिया को हराएंगे

लक्षित समूहों तक पहुंचकर एनीमिया को हराएंगे

- एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण - गर्भवती-धात्री महिलाओं और छह माह से पांच साल तक के बच्चों की होगी जांच हमीरपुर, 22 दिसम्बर (हि.स.)। एनीमिया मुक्त भारत अभियान को धार देने के उद्देश्य से मंगलवार को टीबी सभागार में जिला स्तरीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें स्वास्थ्य विभाग के साथ शिक्षा विभाग, बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के जिम्मेदार लोगों ने शिरकत की। प्रशिक्षण में लक्षित समूहों तक पहुंच बनाने और उन्हें रक्तल्पता से बचाने के टिप्स दिए गए। प्रशिक्षण के दौरान मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.आरके सचान ने कहा कि भारत को एनीमिया से मुक्त बनाना है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रतिवर्ष अभियान चलाया जा रहा है। मौजूदा समय में जब कोरोना संकट चरम पर है, तब ऐसे में यह अभियान और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस अभियान में गर्भवती, धात्री महिला व छह माह से पांच वर्ष के बच्चों को शामिल किया गया है। अभियान में एएनएम और आशा कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो फील्ड में रहते हुए इन लक्षित समूहों तक पहुंच बनाएंगी और उनकी जांच करेंगी। उन्होंने कहा कि गर्भवती में एनीमिया को चार स्तरों में बांटा गया है। प्रत्येक स्तर का अलग-अलग प्रबंधन है। सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन वाली गर्भवती को गंभीर एनीमिया की श्रेणी में माना जाएगा और उसे तुरंत स्वास्थ्य केंद्र के लिए रेफर किया जाएगा। इसके अलावा 7 ग्राम से 9.9 ग्राम व 10 से 10.09 ग्राम हीमोग्लोबिन की महिला को क्रमशरू मॉडरेट और माइल्ड एनीमिया की श्रेणी में रखा जाएगा और ऐसी गर्भवती को रोजाना दो गोली (एक सुबह, एक शाम) आईएफए (आयरन फोलिक एसिड) की दी जाएगी। जबकि 11 ग्राम के बराबर या अधिक हीमोग्लोबिन वाली महिलाओं को एनीमिया की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा लेकिन ऐसी महिलाओं को प्रतिदिन आईएफए की एक गोली लेनी होगी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुरेंद्र साहू ने बताया कि छह माह से पांच वर्ष के बच्चों की एनीमिया की जांच ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) के दौरान की जाएगी। 11 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन होने पर बच्चों को एनेमिक माना जाएगा। ऐसे बच्चों को निकटवर्ती हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर या प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाएगा। धात्री महिलाओं को भी आईएफए की लाल गोली दी जाएगी। ऐसी महिलाओं को प्रसव के पश्चात छह माह तक प्रत्येक दिन आईएफए की एक गोली का सेवन करना होगा। प्रशिक्षण में एसीएमओ डॉ.पीके सिंह, डॉ.एमके बल्लभ, जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी अनिल यादव, डीसीपीएम मंजरी गुप्ता, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के डीईआईसी मैनेजर गौरीश राज पाल, बेसिक शिक्षा विभाग से सरीला के एबीएसए विनय विश्वकर्मा, व्यास देव सुमेरपुर, संजय कुमार मौदहा, मनोज कुमार गोहाण्ड, सीडीपीओ सुमनलता, शशिकला कुरारा, कमला देवी राठ, चंद्रकुमारी गोहाण्ड, गीता विश्वकर्मा सरीला, ममता मिश्रा मुस्करा आदि लोग मौजूद रहे। हिन्दुस्थान समाचार/ पंकज/ मोहित-hindusthansamachar.in

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