मुख्तार पर हमला मामले में ब्रजेश सिंह की जमानत नामंजूर
मुख्तार पर हमला मामले में ब्रजेश सिंह की जमानत नामंजूर

मुख्तार पर हमला मामले में ब्रजेश सिंह की जमानत नामंजूर

प्रयागराज, 20 नवम्बर (हि.स)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माफिया व बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी और उसके काफिले पर हमला करने के मामले में माफिया बृजेश सिंह की जमानत अर्जी नामंजूर कर दी है। बृजेश सिंह इस समय वाराणसी जेल में बंद है। इस मामले में गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में बृजेश सिंह और अन्य लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। मुकदमे का ट्रायल स्पेशल कोर्ट एमपीएमएलए प्रयागराज में चल रहा है। जमानत अर्जी में मुकदमे का विचारण लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहा करने की मांग की गई थी। जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह प्रथम ने सुनवाई की। घटना की प्राथमिकी मुख्तार अंसारी द्वारा 15 जुलाई 2001 को दर्ज कराई गई थी। आरोप है कि मुख्तार अंसारी जब अपने काफिले के साथ चुनाव क्षेत्र मऊ जा रहे थे तभी रास्ते में खड़े एक ट्रक में छिप कर बैठे बृजेश सिंह और अन्य लोगों ने स्वचलित हथियारों से काफिले पर हमला कर दिया। अंधाधुंध गोलियां बरसाई गई। हमले में मुख्तार के गनर रामचंद्र राय व दो अन्य की मौत हो गई जबकि 11 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतकों में एक व्यक्ति बृजेश सिंह के गैंग का भी बताया जाता है। बचाव पक्ष का कहना था कि याची पिछले 12 वर्षों से जेल में बंद है। हमले में कर्बाइन के इस्तेमाल की बात कही गई है जबकि मृतकों और घायलों को लगी गोलियों में काबाईन की गोलियां नहीं है। मुकदमे का ट्रायल स्पेशल कोर्ट एमपीएमएलए प्रयागराज में चल रहा है। मगर आज तक अभियोजन की ओर से एक भी गवाह पेश नहीं किया गया। यह भी कहा गया कि मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल में बंद किया गया है। वह चिकित्सकीय आधार पर बयान देने के लिए कोर्ट नहीं आ रहा है। मुख्तार के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि याची को 1986 में पेरोल दिया दिया था जिसके बाद वह 20 वर्षों तक फरार रहा। यदि उसे जमानत दी जाती है तो फिर से भागने की आशंका है। सरकारी वकील ने भी जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि घटना काफी गंभीर है। इसमें 11 लोगों को गोलियों से गंभीर चोटे आई हैं। घायलों में कई चश्मदीद गवाह हैं। कोर्ट ने घटना की गंभीरता को देखते हुए जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/विद्या कान्त-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in