मथुरा के सुरीर गांव की महिलाएं करवाचौथ पर नहीं रखा व्रत, न किया श्रृंगार
मथुरा के सुरीर गांव की महिलाएं करवाचौथ पर नहीं रखा व्रत, न किया श्रृंगार

मथुरा के सुरीर गांव की महिलाएं करवाचौथ पर नहीं रखा व्रत, न किया श्रृंगार

मथुरा, 04 अक्टूबर(हि.स.)। आज पूरे देश में सुहागन स्त्रियां अपने-अपने पति की दीर्घायु के लिए करवां चौथ का व्रत रखे हुए हैं वहीं मथुरा जिले से 60 किलोमीटर की दूरी स्थित सुरीर के गांव बघा में 200 वर्षों की परम्परा को आज भी निर्वहन किया गया। ग्रामीणों का कहना है कि यहां की महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए ही करवाचौथ का व्रत नहीं रखती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ मनाया जाता है, इस दिन सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं, लेकिन मथुरा जिले के कस्बा सुरीर के बघा गांव में नजारा एकदम अलग होता है। लोक परम्परा में मान्यता है कि यहां की महिलायें इस दिन व्रत नहीं रखतीं और न ही पूरा श्रृंगार करती हैं। अगर बघा गांव में सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं तो उनके पति की मृत्यु हो जाती है। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहले कई महिलाओं ने सती के श्राप को नहीं माना और करवा चौथ का व्रत किया। इसके कुछ दिन बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गई। 97 वर्षीय बुजुर्ग महिला प्रेम देवी ने कहा कि अब यहां कोई करवा चौथ का व्रत नहीं करता। सती का श्राप मिला हुआ है। उस श्राप को भी 200 साल होने जा रहे हैं। अब यहां कोई करवाचौथ का व्रत नहीं करता। बुजुर्ग महिला सरिता ने कहा कि इस गांव में सती का श्राप है कि जब भी कोई सुहागिन करवाचौथ का व्रत करेगी, उसके पति की मृत्यु हो जायेगी। करवाचौथ के दिन सुहागिन महिलाएं माथे पर सिंदूर, रंग-बिरंगी चूड़ियां भी नहीं पहनती हैं। सालों से यही परंपरा चली आ रही है। इसी श्राप की वजह से यहां की महिलायें करवाचौथ का व्रत नहीं रखती हैं। कस्बे के बघा मोहल्ले में सती का एक मंदिर है, जहां पर महिलाएं पूजा करती हैं। साथ ही उनसे विनती करती हैं कि उनके पति पर कोई आंच न आए। ऐसे में जो भी विवाहिताएं यहां ब्याह कर लाई जाती हैं, वह भी इस श्राप के डर के कारण करवाचौथ का व्रत रखने के बारे में सोच कर ही सहम जाती हैं। सीमा ने कहा कि उनके विवाह को तीन साल बीत चुके हैं। उनके परिवारीजनों ने करवा चौथ का व्रत रखने से मना किया है। उन्होंने कहा कि शादी के इन तीन सालों में उन्होंने एक बार भी करवाचौथ का व्रत नहीं रखा और आज भी नहीं रखा है। बुधवार की सुबह से ही सभी गांव की महिलाएं सादा रिवाज में अपनी दिनचर्या करते हुए नजर आईं। वहां करवां चौथ पर्व का कोई महत्व नहीं नजर आया। 200 साल से यही परम्परा यहां पर महिलाएं निभाती आ रही है। 200 साल बीतने के बाद भी यहां संचालित है करवाचौथ न मनाने की परम्परा करीब 200 वर्ष पहले पास ही के एक गांव राम नगला से एक व्यक्ति ससुराल से अपनी पत्नी को विदा कराकर बघा मोहल्ले से होते हुए भैंसा गाड़ी से गांव लौट रहा था, तभी इस मोहल्ले के ठाकुर समाज के लोगों ने उन्हें रोक लिया और युवक पर भैंसा चोरी करने का आरोप लगाया। उस युवक ने कहा कि यह भैंसा उन्हें ससुराल से विदाई में मिला है, बावजूद इसके गांव वालों ने उसकी एक न सुनी। इस झगड़े में मोहल्ले के लोगों ने उस युवक की हत्या कर दी। अपनी पति को मृत पड़ा देख पत्नी ने श्राप दिया कि जिस तरह वह अपने पति के लिए बिलख रही है। इस गांव की महिलाएं भी ऐसे ही बिलखेंगी। श्राप देने के बाद महिला भी पति के साथ सती हो गई। कहा जाता है कि इस श्राप के बाद से ही मोहल्ले में अनहोनी शुरू हो गई। ऐसे में वहां के बुजुर्गों ने इसे सती का श्राप माना और उनसे क्षमा मांगी। तब से लेकर आज तक यही परम्परा बनी हुई है। हिन्दुस्थान समाचार/महेश/राजेश-hindusthansamachar.in

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