पहले मास्क, अब स्कूली ड्रेस सिलेंगी स्वयं सहायता समूह की माहिलाएं
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पहले मास्क, अब स्कूली ड्रेस सिलेंगी स्वयं सहायता समूह की माहिलाएं

पहले मास्क, अब स्कूली ड्रेस सिलेंगी स्वयं सहायता समूह की माहिलाएं - समूह की महिलाएं सिलेंगी पचास हजार से अधिक स्कूली ड्रेस बलिया, 12 जून (हि.स.)। महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं महिलाओं के हाथों को काम देने के लिए जिलाधिकारी ने पहल की है। इस बार परिषदीय विद्यालयों में बांटे जाने वाले ड्रेस में से पचास हजार ड्रेस इन महिलाओं से सिलवाया जाएगा। जिलाधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को भी इससे जोड़ कर उनको रोजगारपरक बनाया जा रहा है। मिशन की उपायुक्त अन्नपूर्णा गर्ग के नेतृत्व में यह तय हुआ है कि कम से कम से कम 50 हजार ड्रेस उन महिलाओं द्वारा सिला जाएगा। इससे उनको घर बैठे कुछ आय भी हो जाएगी। जिलाधिकारी ने कहा कि जिस तरह पर्याप्त मात्रा में मास्क बनाकर समूह की महिलाओं ने अपनी क्षमता दिखाई है, अगर उनको सपोर्ट मिला तो और बेहतर परिणाम दिखा सकती हैं। बच्चों को मिलेगा बेहतर गुणवत्ता का ड्रेस जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने बताया कि परिषदीय स्कूलों में बेहतर गुणवत्ता का ड्रेस देने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए बकायदा 29 फर्मों से उनके सैम्पल के साथ खुला आवेदन लिया गया है। बेहतर गुणवत्ता का ड्रेस चयन के लिए बनाई गई पांच सदस्यीय समिति ने 8 फर्मों के ड्रेस को स्वीकार किया। जिलाधिकारी ने बताया कि ड्रेस वितरण को और पारदर्शी बनाने के लिए हमने दो सौ नमूने तैयार किए हैं, जो जनप्रतिनिधि गण व पत्रकार बन्धुओं को दिया जाएगा। स्कूलों पर वितरण के समय भी इन लोगों को आमंत्रित किया जाएगा। हर न्याय पंचायत स्तर पर भी एक-एक नमूना उपलब्ध रहेगा। उसी नमूने के आधार पर उसी गुणवत्ता का ड्रेस सिलवाने की जिम्मेदारी स्कूल मैनेजमेंट कमेटी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की होगी। पारदर्शिता के लिए अपनाई गई इस प्रक्रिया के लिए जिलाधिकारी ने संयुक्त मजिस्ट्रेट अन्नपूर्णा गर्ग व बीएसए शिवनारायण सिंह की सराहना भी की। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश-hindusthansamachar.in

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