गुरू और ईष्ट के प्रति अडिग आस्था व पूर्ण समर्पण फलदायी : वासुदेवानंद सरस्वती
गुरू और ईष्ट के प्रति अडिग आस्था व पूर्ण समर्पण फलदायी : वासुदेवानंद सरस्वती

गुरू और ईष्ट के प्रति अडिग आस्था व पूर्ण समर्पण फलदायी : वासुदेवानंद सरस्वती

प्रयागराज, 27 दिसम्बर (हि.स.)। गुरू और ईष्ट के प्रति अडिग आस्था व पूर्ण समर्पण भक्त के लिए निश्चय ही फलदायी होता है। सनातन धर्म की सुरक्षा के लिए भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित नियम एवं प्रक्रियाओं से ही आज भी सनातन धर्म सुरक्षित और संचालित हो रहा है। सनातन धर्मावलम्बियों को अपने धर्म की रक्षा एवं संचालन के लिए स्वयं सचेत और प्रयासरत रहना चाहिए। यह बातें श्रीमज्ज्योज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती ने रविवार को श्री ब्रह्मनिवास भगवान आदि शंकराचार्य मन्दिर, अलोपीबाग में ज्योतिष्पीठ के गुरू और आचार्यों की स्मृति में आयोजित नौ-दिवसीय आराधना महोत्सव में कही। इसके पूर्व राधामन्दिर, राधामाधव विग्रह एवं पूर्व गुरूओं को माल्यार्पण करके पूजा-अर्चना, आरती एवं भोग अर्पित किया एवं भक्तों को प्रसाद वितरण किया। आराधना महोत्सव के आठवें दिन श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा सुनाते हुए श्री स्वामी अखण्डानंद सरस्वती के कृपापात्र व्यास स्वामी श्रवणानंद ने श्रीमद्भागवत की कथाओं से मनुष्य की वर्तमान जीवन-संदर्भों को जोड़ते हुए जीवन में आने वाले संकटों से बचने और उनका समाधान खोजने के रास्तों पर प्रकाश डाला। जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद महाराज ने भगवान आदि शंकराचार्य को माला अर्पित किया, पूजा-अर्चना में प्रमुख रूप से दण्डी स्वामी विनोदानंद, ब्रह्मचारी विशुद्धानन्द, आचार्य अभिषेक ने पूजन कार्यक्रम सम्पन्न कराया। पूर्व प्रधानाचार्य पं. शिवार्चन उपाध्याय, पं. दयाशंकर पाण्डेय, एडवोकेट आचार्य छोटे लाल मिश्र, ब्रह्मचारी आत्मानंद, आचार्य विपिन मिश्र, मनीष, आचार्य यशोदानन्दन तिवारी, फूलचन्द्र दुबे एवं वरिष्ठ पूर्व सभासद पं. उमेश मिश्र आदि कार्यक्रम में सम्मिलित रहे। ज्योतिष्पीठ प्रवक्ता पं. ओंकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि 28 दिसम्बर को आराधना महोत्सव के सभी कार्यक्रमों का अन्तिम दिन है। जिसमें श्रीमद्भागवत कथा अभिषेकात्मक रूद्रयाग एवं पूजा आरती सहित व्यास श्रवणानन्द की विदाई प्रमुख है। हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/दीपक-hindusthansamachar.in

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