काशी के कोतवाल कालभैरव के जन्मोत्सव की तैयारी, रात में एक घंटे का खास दर्शन
काशी के कोतवाल कालभैरव के जन्मोत्सव की तैयारी, रात में एक घंटे का खास दर्शन

काशी के कोतवाल कालभैरव के जन्मोत्सव की तैयारी, रात में एक घंटे का खास दर्शन

वाराणसी,04 दिसम्बर (हि.स.)। काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के जन्मोत्सव की तैयारी मंदिर परिसर में चल रही है। दरबार को सजाने के साथ कोविड प्रोटोकाल के पालन को लेकर भी मंदिर के पुजारी सतर्क है। बाबा का जन्मोत्सव मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी (भैरवाष्टमी) सात दिसम्बर को है। भैरवाष्टमी पर बाबा कालभैरव के विग्रह को भोर में पंचामृत स्नान कर सिंदूर लेपन कराया जायेगा। इसके बाद बाल स्वरूप में श्रृंगार रख बाबा को नवीन वस्त्र, चांदी का मुखौटा, मुंडमाला, छत व दण्ड धारण कराया जायेगा। भोग लगाने के बाद मंगला आरती कर मंदिर का पट आम जन के लिए खोल दिया जायेगा। मंदिर के पुजारी नवीन गिरी ने बताया कि भैरवाष्टमी पर रात में 12 बजे से अपरान्ह एक बजे के बीच बाबा का खास दर्शन वर्ष में सिर्फ एक दिन के लिए होता है। जिसमें बाबा को वस्त्र और आभूषण नही पहनाया जाता। उन्होंने बताया कि काल भैरव महाकाल के रूप में काशी में विराजते हैं। काशी नगरी में बाबा विश्वनाथ के बाद बाबा काल भैरव का ही सबसे बड़ा स्थान है। बाबा विश्वनाथ इस शहर के पुराधिपति है। काल भैरव इस शहर के सेनापति हैं। यहां उनकी मर्जी चलती है, वही, शहर की पूरी व्यवस्था संभालते हैं। शिवपुराण में लिखा है भगवान शंकर के अंश काल भैरव है। अहंकार में आकर बलशाली राक्षस अंधकासुर ने भगवान शिव के ऊपर हमला कर दिया। उसके संहार के लिए महादेव के रक्त से भैरव की उत्पत्ति हुई। काल भैरव शिव का ही स्वरूप हैं। उन्होंने बताया कि वाराणसी में बाबा कालभैरव के अलावा सभी भैरव मंदिरों में भैरवाष्टमी मनाई जाती है। कमच्छा स्थित बटुक भैरव मंदिर, कज्जाकपुरा स्थित लाटभैरव, आसभैरव नीचीबाग, भूतभैरव नखास, आनंदभैरव रामघाट, दण्डपाणि भैरव भैरोनाथ, क्रोधन भैरव हनुमान घाट, कोडमदेश्वर भैरव रेशम कटरा, शीतला मंदिर में स्थित आदि काल भैरवनाथ एवं उन्मुक्त भैरव मंदिर में भी जन्मोत्सव मनाया जाता है। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/मोहित-hindusthansamachar.in

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