कांग्रेस को ‘ज्ञापन’ क्या किसानों के बीच में जाने का नैतिक अधिकार नहीं : केशव मौर्य
कांग्रेस को ‘ज्ञापन’ क्या किसानों के बीच में जाने का नैतिक अधिकार नहीं : केशव मौर्य

कांग्रेस को ‘ज्ञापन’ क्या किसानों के बीच में जाने का नैतिक अधिकार नहीं : केशव मौर्य

-कृषि मंत्री शाही बोले, दो करोड़ हस्ताक्षर फर्जी, कांग्रेस को चुनाव में इतने वोट नहीं मिलते लखनऊ, 24 दिसम्बर (हि.स.)। कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस नेताओं के गुरुवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षरों के साथ ज्ञापन सौंपने की योगी सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। प्रदेश सरकार के नेताओं ने ज्ञापन में हस्ताक्षर को फर्जी करार दिया है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जो कालाबाजारी, भ्रष्टाचार, दलाली करने वाले लोग हैं, वह किसानों के हित के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा ऐसे लोगों के साथ रही है। इसलिए उसकी सरकार पर केन्द्र से भेजी धनराशि लाभार्थी तक कभी पूरी नहीं पहुंचती थी। उन्होंने कहा कि वहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के जरिए किसानों के लिए साल में 6,000 भेजे जा रहे हैं और यह पूरा किसानों के खातें पहुंच रहा है। अब तक एक लाख करोड़ों रुपये से अधिक किसानों के बैंक खाते में पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार होती तो 15 हजार करोड़ रुपये किसानों के खाते में जाता और 85 हजार करोड़ रुपये कांग्रेस के दलालों के खाते में पहुंचता। उन्होंने कहा कि फर्जी हस्ताक्षर को लेकर राष्ट्रपति के पास जाना यह कांग्रेस का पुराना इतिहास है। कांग्रेस हमेशा से किसानों की विरोधी रही है। अगर वह किसानों की हितैषी होती तो साठ साल में इतना मौका कांग्रेस के पास था कि किसानों की कोई भी समस्या शेष नहीं रहती। उन्होंने कहा कि जो किसानों के दुश्मन हैं, वह दोस्त बनने का नाटक कर रहे हैं। उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि वह राजनीतिक दलों के लिए अपने कंधों का इस्तेमाल ना होने दें। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक संगठन सरकार द्वारा बनाए गए कानून के पक्ष में हैं और अगर किसी को कोई समस्या है, तो सरकार ने कहा है कि उसके दरवाजे खुले हैं। किसान हमारे अन्नदाता हैं। हम उनके उत्थान के लिए आए हैं, इसीलिए इन कानूनों को लाया गया है। अगर किसी को शिकायत है तो हम उस पर विचार करने के लिए तैयार हैं। लेकिन, कानून वापस लेने के लिए नहीं बनाये गये हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नाटक कर रही है। वह अपना खोया जनाधार और जमीन तलाश रही है। वास्तव में किसान आन्दोलन को लेकर कांग्रेस को ज्ञापन क्या किसानों के बीच में जाने का नैतिक अधिकार तक नहीं है। वहीं प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अभी बिहार में चुनाव लड़ा, उपचुनाव लड़ा और सब जगह उनकी हालत खस्ता हो गई। उन्होंने दो करोड़ हस्ताक्षर को फर्जी करार देते हुए कहा कि जब मतदान होते हैं तो उन्हें दो करोड़ वोट नहीं आ पाते हैं। वह किसानों के हस्ताक्षर कहां से लेकर आ रहे हैं। शाही ने कहा कि ये तथाकथित हस्ताक्षर बनवाने, उसको लेकर जाकर कहीं पर नुमाइश करने से देश को आत्मनिर्भर बनाने और किसानों की सुख-समृद्धि के लिए जो काम किए जा रहे हैं उस पर इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं होता है। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि तीन काले कानूनों के खिलाफ राहुल गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रपति भवन के लिए मार्च करने पर प्रियंका गांधी व कांग्रेस सांसदों की गिरफ्तारी मोदी सरकार की तानाशाही का उदाहरण है। सरकार जो जतन करना है कर लें कांग्रेस पार्टी किसानों की लड़ाई से पीछे नहीं हटेगी। दरअसल, पहले कांग्रेस नेता विजय चौक से मार्च निकालकर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचने वाले थे लेकिन इसकी इजाजत नहीं मिलने पर प्रियंका गांधी वाड्रा समेत अन्य कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। बाद में राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि इन कानूनों से मजदूरों और किसानों का नुकसान होने वाला है। राष्ट्रपति से हमने कहा कि ये जो कानून बनाए गए हैं ये किसान विरोधी हैं और इनसे किसानों, मजदूरों का नुकसान होने वाला है। मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि किसान हटेगा नहीं, प्रधानमंत्री को यह नहीं सोचना चाहिए कि किसान, मजदूर घर चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से ये कानून बिना चर्चा के लाए गए हैं वह गलत है। उन्होंने कहा कि बिल पर चर्चा के लिए संसद का संयुक्त सत्र बुलाया जाना चाहिए। हिन्दुस्थान समाचार/संजय/दीपक-hindusthansamachar.in

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