कर्तव्य बोध का मूल है गीता का कर्मयोग-प्रो. श्रेयांश द्विवेदी
कर्तव्य बोध का मूल है गीता का कर्मयोग-प्रो. श्रेयांश द्विवेदी

कर्तव्य बोध का मूल है गीता का कर्मयोग-प्रो. श्रेयांश द्विवेदी

लखनऊ, 27 दिसम्बर (हि.स.)। गीता जयंती के उपलक्ष्य में रविवार राजेंद्रनगर स्थित नवयुग कन्या महाविद्यालय में संस्कृत विभाग की ओर से विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में वाल्मिक संस्कृत विश्वविद्यालय, कैथल (हरियाणा) के कुलपति प्रोफ़ेसर श्रेयांश द्विवेदी जी ने 'गीता के कर्मयोग' विषय पर अपना वक्तव्य दिया। जिसके माध्यम से उन्होंने बहुत ही कम समय में गीता के कर्मयोग को व्याख्यायित किया। प्रोफेसर प्रभु नारायण मिश्र (विभागाध्यक्ष-अर्थशास्त्र, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर) ने वर्तमान परिपेक्ष में गीता के कर्मयोग को बहुत ही उत्तम ढंग से व्याख्यायित किया तथा सभी समस्याओं का समाधान गीता में बताया। इस वर्चुअल संगोष्ठी में अमेरिका से संस्कृत के विद्वान बालमुकुंद जी, ऑस्ट्रेलिया से श्री वी. राजगोपालन जी के साथ अनेकानेक भारतीय विद्वान, शोधार्थी, अध्यापक, प्राध्यापक, इत्यादि जुड़े रहे। इस आभासी मंच से महाविद्यालय द्वारा आयोजित ई-गीता निबंध प्रतियोगिता का परिणाम भी घोषित किया गया। जिसमें क्रमशः प्रथम स्थान-पूजा सिंह, द्वितीय स्थान- प्रीति देवी तथा तृतीय स्थान-प्रेम लता को प्राप्त हुआ। कार्यक्रम महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. सृष्टि श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एवं डॉ. वंदना द्विवेदी के संयोजकत्व में किया गया। कार्यक्रम में 'अमलतास' (कला साहित्य एवं संस्कृति का मंच) नामक संस्था के अध्यक्ष आनंद कुमार मिश्रा, उपाध्यक्ष विशाल पांडेय एवं सचिव विश्वेश कुमार मिश्र ने मीडिया सहयोग प्रदान किया। हिन्दुस्थान समाचार/दीपक-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in