एशिया के प्रथम दिव्यांग विश्वविद्यालय की स्थापना कर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने किया ऐतिहासिक कार्य - अश्विनी चौबे
एशिया के प्रथम दिव्यांग विश्वविद्यालय की स्थापना कर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने किया ऐतिहासिक कार्य - अश्विनी चौबे

एशिया के प्रथम दिव्यांग विश्वविद्यालय की स्थापना कर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने किया ऐतिहासिक कार्य - अश्विनी चौबे

- केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने तुलसी पीठ पहुंच लिया जगद्गुरु रामभद्राचार्य का आशीर्वाद चित्रकूट,17 दिसम्बर (हि.स.)। दिव्यांगों की शिक्षा, रोजगार, पुनर्वास के लिए स्थापित जगदगुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के आजीवन कुलाधिपति पद्म विभूषण जगदगुरु रामभद्राचार्य से उनके आवास श्रीतुलसीपीठ, चित्रकूट में मोदी सरकार के केंद्रीय चिकित्सा राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने आशिर्वाद लिया। साथ ही जगदगुरु से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की और चित्रकूट के विकास के लिए भी केंद्रीय मंत्री ने अपनी सरकार की प्रतिबद्धता बताई। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने गुरुवार को कहा कि आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में पूजनीय पद्म विभूषण जगदगुरु श्रीरामभद्राचार्य जी की मेधा शक्ति से परिचित हैं। आप एक अद्भुत संत हैं। आपने भारत के दिव्यांग भाई-बहनों के लिए दिव्यांग विश्वविद्यालय संस्थापित कर अनोखा कार्य किया है। यह समाज हमेशा आपका ऋणी रहेगा। जगदगुरु के दर्शन करने के उपरांत मंत्री ने दिव्यांग विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलपति प्रो0 योगेश चंद्र दुबे, कुलाधिपति सचिव आचार्य रामचंद्र दास, कुलसचिव डा. महेंद्र कुमार उपाध्याय ने पुष्प-गुच्छ देकर स्वागत किया। मंत्री ने विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न विभागों को अवलोकन किया। बिहार की छात्रा पुजा गुप्ता से मंत्री ने चर्चा भी की। ललित कला विभाग के बधिर छात्रों की बनाई पेंटिंग भी मंत्री को कुलपति व आचार्य रामचंद्र दास ने भेंट किया। इस मौके पर मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय में जो भी छात्रों के लिए चिकित्सा विज्ञान में सरकार से सहयोग हो सकता है अवश्य करेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के विकास में दिव्यांगों की शैक्षणिक योग्यता, रोजगार, पुनर्वास बढ़ाने में इस विश्वविद्यालय का अहम योगदान है। इस अवसर पर कुलसचिव डा0 महेंद्र कुमार उपाध्याय, सुरक्षा अधिकारी डा0 मनोज कुमार पांडेय, पीआरओ एस0 पी0 मिश्रा आदि उपस्थित रहे। हिन्दुस्थान समाचार/रतन/मोहित-hindusthansamachar.in

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