उप्र में मुहर्रम में ताजिया उठाने की अनुमति नहीं : उच्च न्यायालय

उप्र में मुहर्रम में ताजिया उठाने की अनुमति नहीं : उच्च न्यायालय
उप्र में मुहर्रम में ताजिया उठाने की अनुमति नहीं : उच्च न्यायालय

धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक में शासनादेश के खिलाफ जनहित याचिकाएं खारिज प्रयागराज, 29 अगस्त (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धार्मिक समारोहों के आयोजन पर लगी रोक को हटाकर मुहर्रम का ताजिया निकालने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने यूपी सरकार के शासनादेश को विभेदकारी नहीं मानते हुए चुनौती याचिकाओं को खारिज कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने रोशन खान सहित कई अन्य की जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने कोरोना संक्रमण फैलने की आशंका को देखते हुए सभी धार्मिक समारोहों पर रोक लगायी है। किसी समुदाय विशेष के साथ भेदभाव नहीं किया गया है। जन्माष्टमी पर झांकी व गणेश चतुर्थी पर पंडाल पर भी रोक लगी है। उसी तरह मुहर्रम में ताजिया निकालने पर भी रोक लगी है। किसी समुदाय को टार्गेट करने का आरोप निराधार है। सरकार ने कोरोना फैलाव रोकने के लिए कदम उठाया है। याची का यह कहना कि पुरी की रथयात्रा और मुंबई के जैन मंदिर में पर्यूषण प्रार्थना की अनुमति सुप्रीम कोर्ट ने दी। कोर्ट ने कहा कि उसकी तुलना ताजिया दफनाने व अन्य समारोह करने से नहीं की जा सकती। कोर्ट ने कहा हम समुद्र के किनारे खड़े हैं, कब कोरोना लहर हमें गहराई में बहा ले जायेगी, हम अंदाजा नहीं लगा सकते। हमें कोरोना के साथ जीवन जीने की कला सीखनी होगी। कोर्ट ने कहा कि भारी मन से हम ताजिया निकालने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। हमे विश्वास है भविष्य में ईश्वर हमें अपनी धार्मिक परंपराओं के साथ धार्मिक समारोहों के आयोजन का अवसर देंगे। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता वीएम जैदी, एसएफए नकवी, केके राय ने बहस की। इनका का कहना था कि धार्मिक समारोहों पर लगी रोक धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का हनन है। सरकार धार्मिक भेदभाव कर रही है। कई त्योहार मनाने की छूट दी गयी है और ताजिया निकालने की अनुमति नहीं दी जा रही है। राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय का कहना था कि धार्मिक स्वतंत्रता पर कानून व्यवस्था, नैतिकता, लोक स्वास्थ्य को देखते हुए प्रतिबंधित किया जा सकता है। सरकार ने अगस्त माह में सभी धार्मिक समारोहों पर रोक लगायी है। किसी के साथ भेदभाव नहीं किया गया है। कोविड 19 के प्रकोप को देखते हुए धार्मिक कार्यक्रम घरों में रहकर मनाने का अनुरोध किया गया है। अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता का कहना था कि उड़ीसा में जगन्नाथ रथयात्रा निकालने की अनुमति की तुलना मोहर्रम जुलूस के लिए करना गलत होगा। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने रथयात्रा की अनुमति देते समय कहा था कि उड़ीसा में कोरोना कन्ट्रोल में है और वहां मृत्यु दर काफी है। फिर वहां एक छोटे से शहर में छोटी दूरी की यात्रा थी और वहां सीमित लोगों को ही अनुमति थी। कोर्ट ने दोनो पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। शनिवार को दोपहर बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए धार्मिक कार्यक्रम पर रोक के शासनादेशां के खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दी है। हिन्दुस्थान समाचार/आर.एन/दीपक-hindusthansamachar.in

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