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जब सांसे थमने लगी तब रखी गई ऑक्सीजन प्लांट की नीव

बांदा, 27 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना महामारी के चलते राजकीय मेडिकल कॉलेज बांदा में ऑक्सीजन की खपत कई गुना बढ़ गई थी। कोरोना संक्रमित को सांस लेने में दिक्कत होने पर भारी मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए शासन ने मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट स्थापित करने का निर्णय पिछले वर्ष सितंबर में लिया था लेकिन इस प्लांट की शुरुआत अब हुई जब महामारी की दूसरी लहर ने लोगों की सांसे छीनना शुरू कर दी। पिछले वर्ष शासन ने ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट स्थापित करने की घोषणा की थी इसके बाद ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए टेंडर आदि प्रक्रिया शुरू हुई। उस समय राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ मुकेश यादव ने दावा किया था कि दो माह बाद प्लांट बनकर तैयार हो जायेगा। लेकिन धीर-धीरे सात माह गुजर गए प्लांट बनकर तैयार नहीं हो पाया। इधर, जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने कहर ढाना शुरू किया, तब मरीजों की सांसे ऑक्सीजन के अभाव में थमने लगी। इसके बाद प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग को होश आया और पिछले माह ही इसकी शुरुआत हुई। बताते चलें कि, शासन ने पिछले वर्ष 2020 में सेंट्रल ऑक्सीजन प्लांट को बनवाने की स्वीकृति दी थी। जिसमें 91 लाख रुपये खर्च किया जाना था। कार्यदायी संस्था यूपी प्रोजेक्ट कार्पोरेशन लिमिटेड लखनऊ को प्लांट बनवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन धनराशि कम होने से प्लांट बनना शुरू नहीं हो पा रहा था। कार्यदायी संस्था के नया स्टीमेट बनाकर देने पर शासन ने अब इसकी लागत बढ़ाकर एक करोड़ 91 लाख कर दी है। जिसकी पहली किस्त 89 लाख रुपये कार्यदायी संस्था को उपलब्ध करा दी है। शासन के निर्देश पर तीन माह में प्लांट को तैयार किया जाना है। जिसके लिए कार्यदायी संस्था के सिविल इंजीनियरों ने बांदा के नरैनी रोड स्थित मेडिकल कॉलेज में आकर प्लांट तैयार कराने की शुरुआत कर दी है। युद्धस्तर पर भवन तैयार कराने का कार्य जारी है। प्लांट बनने से रोजाना जनपद में ही करीब ढाई सौ सिलेंडर ऑक्सीजन उपलब्ध होने लगेगी। अब ज्यादा समय नहीं लगेगा इस बारे में राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मुकेश यादव का कहना है कि कार्यदायी संस्था के काम शुरू कराने से अब इसके बनकर तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। इसके बनने से ऑक्सीजन की दिक्कत नहीं रहेगी। कॉलेज में ही ऑक्सीजन तैयार होने लगेगी। उन्होंने बताया कि सेंट्रल ऑक्सीजन प्लांट करीब 200 स्क्वायर मीटर में बनवाया जा रहा है। इसमें करीब 89 लाख की लागत से भवन बन रहा है। शेष एक करोड़ धनराशि में प्लांट की मशीनें व सिलेंडर आदि उपकरणों में खर्च किया जाना है। पर्याप्त ऑक्सीजन का दावा पर जरूरत पर नहीं मिलती ऑक्सीजन के मामले में यहां के अस्पतालों में हाल बेहाल है। स्वास्थ्य विभाग पर्याप्त ऑक्सीजन का दावा कर रहा है। इसके बावजूद जरूरतमंद मरीजों को समय से ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। बानगी के तौर पर जिला अस्पताल में समय पर ऑक्सीजन न मिलने से सोमवार को एक दर्जन मरीजों की मौत हो गई थी। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल

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