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वेबिनार: राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उद्योगों के साथ समन्वय बनाएं काॅलेज

मेरठ, 25 जून (हि.स.)। रघुनाथ गर्ल्स पीजी कॉलेज एवं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के दूसरे दिन शुक्रवार को वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को स्थानीय व्यावसायिक एवं कौशल शिक्षा के क्षेत्रों से छात्रों को अवगत कराया जाएगा। इसके लिए कॉलेजों को उद्योगों के साथ समन्वय बनाना होगा। कार्यक्रम की संयोजिका मेजर डॉ. पूनम लखनपाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन हेतु आयोजित कार्यशाला के उद्देश्य को बताया। कार्यशाला की आयोजक सचिव कैप्टन डॉ. अंजुला राजवंशी ने अतिथि वक्ताओं का परिचय कराया। विवि के गणित की प्रो. जयमाला ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार स्थानीय व्यावसायिक एवं कौशल शिक्षा के क्षेत्रों से छात्रों को अवगत कराना है। कॉलेज क्षेत्रीय उद्योगों व संस्थाओं के साथ समन्वय स्थापित कर एमओयू साइन करें। इनका कार्य जमीनी स्तर पर होना चाहिए। महाविद्यालय स्वरोजगारपरक कोर्स शुरू करें। मेजर डॉ. पूनम लखनपाल ने भारतीय भाषा, संस्कृति एवं कला प्रकोष्ठ के अन्तर्गत शासन द्वारा भेजे गए बिंदुओं को प्रस्तुत किया। इस सेल का कार्य क्षेत्रीय संस्कृति एवं कला के क्षेत्रों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करना तथा छात्रों एवं शिक्षकों को जोड़ना है। विभिन्न भारतीय भाषाओं को ऑफलाइन व ऑनलाइन माध्यम से सीखने में छात्रों की मदद करना है। विवि के भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो. बीरपाल सिंह ने कहा कि वंचित एवं दिव्यांग भी हर क्षेत्र में अपनी पूर्ण भागीदारी दें। माइनोरिटी एवं अलग भारतीय पहचान वाले लोगों का उत्थान भी इस प्रकोष्ठ द्वारा होगा। वंचित समूह के लिए हेल्थ डेस्क की स्थापना करना दिव्यांगों के लिए महाविद्यालय में संसाधन प्रदान कराना है। दिव्यांगों के लिए चल रही सरकारी योजनाओं से उन्हें अवगत करना है। प्रो. स्नेहलता जायसवाल ने कहा कि हर शिक्षक छात्रों का संरक्षक बने। शिक्षक एवं छात्र का संतुलन एक और दस का होना चाहिए। इससे अपने पूर्व छात्रों, गैर-सरकारी संस्थाओं व अभिभावकों को भी जोड़ा जा सकता है। डॉ. सीमा जैन, डॉ. सोनिका चौधरी द्वारा संचालित प्रश्नोत्तर सत्र में विशेषज्ञों ने प्रश्नों के संतुष्टिजनक उत्तर दिए। कार्यशाला में प्राचार्य डॉ. दीपशिक्षा शर्मा, डॉ. अमिता शर्मा, डॉ. अर्चना रानी, डॉ. पारुल सिंह, डॉ. अनुराधा आदि का सहयोग रहा। हिन्दुस्थान समाचार/कुलदीप/विद्या कान्त

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