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भूगर्भ जल का दोहन होने से गिरा जलस्तर, रेगिस्तान बनने का खतरा

हापुड़, 02 अप्रैल (हि.स.)। भूगर्भ जल के अंधाधुंध दोहन ने जल संकट पैदा कर दिया है। इस बार हापुड़ जनपद के चार में से तीन विकास खंडों को डार्कजोन घोषित किया जा चुका है। जल दोहन इस गति से जारी रहा तो क्षेत्र का रेगिस्तान बनने से नहीं रोका जा सकेगा। भूगर्भ जल का अंधाधुंध दोहन हापुड़ जनपद में जलस्तर काफी गिर गया है। बारिश कम होने के कारण यह स्थिति और अधिक खतरनाक हो गई है। वर्ष 2009 से जनपद में लगातार बरसात काफी कम हो रही हैं। भूगर्भ जल विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जनपद में भूगर्भ जल का दोहन अधिक हुआ है। सबसे ज्यादा खराब हालात सिभावली विकास खंड में हैं। यहां जलस्तर वर्ष 2009 के मुकाबले पांच मीटर तक गिर चुका है। जनपद में लगातार गिरता भूगर्भ जल का स्तर चिंता की बात है। यदि अभी इस बारे में नहीं सोचा गया तो भविष्य में बुरे परिणाम होंगे। जनपद के विभिन्न विकास खंडों में औसत भूजल(मीटर में)- विकासखंड 2009(प्री) 2009(पोस्ट) 2019(प्री) 2019(पोस्ट) धौलाना 5.94 4.97 7.85 8.30 गढ़मुक्तेश्वर 8.73 8.42 11.46 11.97 हापुड़ 10.94 11.10 11.99 13.51 सिभावली 7.08 6.56 12.22 11.79 नोट-यह आंकड़े भूगर्भ जल विभाग से लिए गए हैं। आंकड़े वर्ष में मानसून से पहले और बाद के हैं। भूगर्भीय जल स्तर गिरने के प्रमुख कारण- -नलकूप और सबमर्सिबल बोरिंग का लगातार बढ़ना - रास्तों को कंक्रीट, सीमेंट व कोलतार से पक्का किया जाना - पेड़ों की अंधाधुंध कटाई किया जाना - जल को व्यर्थ बहाकर उसका दुरुपयोग करना - बारिश का कम मात्रा में होना - वर्षा जल का संग्रहण न होना क्या कहते हैं पर्यावरणविद्- पर्यावरणविद कृष्णकांत हूण का कहना है कि गांवों में भूजल दोहन पिछले दस वर्षों में कई गुना बढ़ा है। भूजल स्तर गिरने से रोकने के लिए किसानों को सिंचाई करने के लिए ड्रिप सिस्टम लगाने होंगे। इससे पानी की बचत होगी। प्रशासन को भी गंभीरता से इस समस्या का निस्तारण करने के लिए कार्य करना चाहिए। सभी जलाशयों और तालाबों को पानी से लबालब करें। पानी का दुरुपयोग रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जाए, तभी इस समस्या से मुक्ति मिल सकती है। हिन्दुस्थान समाचार/विनम्र व्रत

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