कारगिल युद्ध में शहीद विजय शुक्ला को याद कर दी गयी श्रद्धांजलि
कारगिल युद्ध में शहीद विजय शुक्ला को याद कर दी गयी श्रद्धांजलि

कारगिल युद्ध में शहीद विजय शुक्ला को याद कर दी गयी श्रद्धांजलि

प्रतापगढ़, 26 जुलाई (हि.स.)। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कारगिल युद्ध में शहीद हुए जिले के विजय शुक्ला को याद करते हुए लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर जिलेभर में कारगिल विजय दिवस धूमधाम से मनाया गया। जगह-जगह आयोजित कार्यक्रम में कारगिल विजय में जान की बाजी लगाने वाले देश के वीर जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। वहीं उनकी जीवनी पर भी प्रकाश डाला गया। जूनियर बार एसोसिएशन पुरातन के वर्तमान अध्यक्ष अयोध्या प्रसाद शुक्ला ने कारगिल युद्ध में शहीद लांस नायक विजय शुक्ल की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। समाजसेवी रोशनलाल ऊमर वैश्य ने कहा कि देश की सरहद भारतीय सेना के हाथ में सुरक्षित है। भारतीय सेना हर पल चौकन्नी रहती है। जूनियर बार एसोसिएशन पुरातन के महामंत्री जेपी मिश्र ने कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को मुहतोड़ जवाब दिया था। कारगिल युद्ध में देश के शहीद जवानों की शहादत युगों-युगों तक याद की जाएगी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद प्रतापगढ़ की इकाई, लालगंज, रानीगंज इकाई द्वारा विजय दिवस पर संगोष्ठी, वृक्षारोपण सहित कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए वक्ताओं ने उनकी वीरता को याद किया। कारगिल शहीद विजय शुक्ला के शहादत दिवस पर उन्हें याद करने के लिए आईटीआई परिसर स्थित विजय पार्क वंदेमातरम और भारत माता की जय से गूंज उठा। लोगों ने शहीद विजय शुक्ला के साथ ही अन्य शहीदों को भी देश का सच्चा सपूत बताया और कहा कि उनकी कुर्बानी देशवासी कभी नहीं भूल सकेंगे। शहीदों की याद में आईटीआई परिसर में पौधरोपण भी किया गया। कुंडा तहसील क्षेत्र के पीथीपुर गांव निवासी लांसनायक शहीद विजय शुक्ला ने ऐसा कर दिखाया कि आज हर कोई उनको नमन करता है, लेकिन उनकी यादें संजोने में शासन प्रशासन का वादा खरा नहीं उतरा। 26 जुलाई 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान विजय शुक्ल शहीद हुए थे। उस समय सेना के अधिकारी व शासन-प्रशासन ने उनकी यादों को संजोने के लिए लंबे चौड़े वादे किए, लेकिन 21 वर्ष बाद भी वादा पूरा नहीं हो सका। यही नहीं शासन द्वारा न तो शहीद स्थल बनवाया गया और न ही शहीद पार्क। परिजनों ने स्वयं से शहीद स्थल का निर्माण करवाया है। हालांकि शहीद के नाम पर पुलिस चौकी शकरदहा का नाम शहीद विजय शुक्ला पुलिस चौकी रखा गया है। विजय के पिता केदार नाथ, मां बिट्टन देवी व भाई श्याम लाल फौजी, चंद्रदेव, राजकपूर, संजय, अजय, लवलेश्वर व पत्नी गुडिया देवी की आंखें आज भी नम हैं। पुत्री दीपा, शिखा, पारुल, दीप्ती व बेटा शिव शंकर को इसका मलाल है कि वह सब छोटे थे। हिन्दुस्थान समाचार/दीपेन्द्र/दीपक-hindusthansamachar.in

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