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वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी परशुराम राय का निधन, किताबों से रहा विशेष लगाव

वाराणसी, 20 अप्रैल (हि.स.)। स्वतंत्रता सेनानी बाबू परशुराम राय का मंगलवार को निधन हो गया। वे 94 वर्ष के थे। उनके निधन की जानकारी पर कोरोना काल में शुभचिंतकों ने सोशल मीडिया के जरिये शोक संवेदना जताई। उनका अंतिम संस्कार हरिश्चन्द्रघाट पर किया जायेगा। मूल रूप से उजियार घाट, बलिया के निवासी बाबू परशुराम राय काफी समय से उम्र जनित और अन्य बीमारियों से पीड़ित रहे। बीते 8 अप्रैल को सांस लेने में दिक्कत होने पर परिजनों ने उन्हें पांडेयपुर स्थित पं.दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में भर्ती कराया था। जहां हालात में सुधार न होने पर परिजनों ने पहड़िया स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां उन्होंने आज सुबह अन्तिम सांस ली। परशुराम राय की प्रारंभिक शिक्षा बलिया में हुई थी। हाई स्कूल में ही पढ़ने के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गये। परिणामस्वरूप उन्हें स्कूल से निकाल दिया गया तथा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। बाद में उन्होंने वाराणसी के डीएवी स्कूल में दाखिला लिया व हाई स्कूल तथा इंटर की परीक्षा पूरी की। उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दाखिला लिया और बीएससी व एमएससी जियोलॉजी से किया। वे बीएचयू के ब्रोचा हॉस्टल में रहते थे। भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति कृष्णकांत उनके रूम मेट रहे। वर्ष 1954 में उत्तर प्रदेश से पीएससी परीक्षा पास कर उन्होंने वन विभाग में अधिकारी के रूप में सेवा दिया। वर्ष 1988 में रामनगर प्रभागीय वन अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हुये तथा वाराणसी के सारनाथ में मकान बनवा कर परिजनों के साथ रहते थे। परिजनों के अनुसार उन्हें किताबों से विशेष लगाव था। स्वस्थ रहे तो प्रतिदिन किताब व कई समाचार पत्रों का अध्ययन करते थे। पत्नी का स्वर्गवास वर्ष 2011 में हो गया था। बाबू परशुराम राय के दो पुत्र पत्रकार है। बड़े पुत्र मुंबई में और छोटे पुत्र अंजनी राय वाराणसी में है। तीन पुत्रियों में सभी का विवाह हो चुका है तथा वे ससुराल में अपने परिजनों के साथ रहती हैं। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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