Gyanvapi Survey: ज्ञानवापी परिसर पहुंची 43 सदस्यीय ASI सर्वेयर की टीम, पश्चिमी दीवार के पास से कर रही सर्वे

Gyanvapi Masjid Survey: आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की टीम सभी उपकरणों के साथ वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में पहुंच चुकी है। ASI 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौप देगी।
Gyanvapi Survey
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नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में ASI ने अपना सर्वे कोर्ट के आदेश के बाद शुरू कर दिया है। ASI की टीम ने सुबह 7 बजे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पहुंचकर प्रक्रिया शुरू कर दी। जिसके बाद शासन ने शहर में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। हिंदू पक्ष ने जहां सर्वे में सहयोग की बात कही है वहीं, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने जिला जज के आदेश के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का हवाला देकर सर्वे की तिथि आगे बढ़ाने की मांग रखी है।

शुक्रवार को मिला था सर्वे का आदेश

आपको बता दें वाराणसी जिला अदालत के जज एके विश्वेश ने शुक्रवार को मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था। जिसके बाद ASI की टीम आज सुबह से ज्ञानवापी परिसर पहुंच कर सर्वे शुरू कर दिया है। ASI टीम 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौपेंगी।

ASI की 43 सदस्यीय टीम करेंगी सर्वे

ASI की टीम में आधुनिक मशीनों के कुल संग 43 सदस्य हैं। ASI की टीम के साथ 4 वकील भी मौजूद हैं। यानी सभी पक्षों के एक एक वकील ज्ञानवापी परिसर में मौजूद हैं। इसके अलावा चार वादी महिलाएं भी सर्वे टीम के साथ ज्ञानवापी में मौजूद है। मुस्लिम पक्ष का कोई सदस्य नहीं पहुंचा है। मुस्लिम पक्ष की गैरमौजूदगी के कारण सर्वे का काम शुरू करने को लेकर स्थिति थोड़ी असामान्य बनी हुई है। 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक रिट दायर की थी। इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी। महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग होने को दावा किया। हालांकि इस पर मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है। इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी। जिसके बाद सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. SC ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था। मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी गई थी कि ये प्रावधान के अनुसार और उपासना स्थल कानून 1991 के परिप्रेक्ष्य में यह वाद पोषणीय नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है। हालांकि, कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य माना था। इसके बाद पांच वादी महिलाओं में से चार ने इसी साल मई में विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का ASI से सर्वे कराने को एक प्रार्थना पत्र दायर किया था। इसी पर जिला जज एके विश्वेश ने अपना फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था।

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