Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर में कोर्ट ने दी व्यास तहखाने में पूजा की इजाजत, 30 साल बाद मिला अधिकार

Varanasi: ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने में हिंदू पक्ष को जिला अदालत ने पूजा-पाठ करने की अनुमति दे दी है। यह कोर्ट द्वारा एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक फैसला है।
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वाराणसी, हि.स.। जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यासजी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा की इजाजत दे दी है। जिला जज डॉ. अजयकृष्ण विश्वेश ने बुधवार को इसके लिए आदेश जारी किया। इस मामले में मंगलवार को ही दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई थी। जिला जज ने अपना फैसला आज के लिए सुरक्षित रखा था।

हिंदू पक्ष ने की थी पूजा करने की मांग

वादी शैलेंद्र व्यास ने अपनी याचिका में कहा है कि उनके नाना सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक तहखाने में नियमित पूजा-पाठ करता था। वर्ष 1993 से तहखाने में पूजा-पाठ बंद हो गई। वर्तमान में यह तहखाना अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के पास है। तहखाने को डीएम की निगरानी में सौंपने के साथ वहां दोबारा पूजा शुरू करने की अनुमति दी जाए।

कोर्ट ने दिया आदेश

अदालत के 17 जनवरी के आदेश के बाद डीएम ने 24 जनवरी को तहखाने को अपने अधिकार में ले लिया था। इस पर प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया ने आपत्ति जताते हुए तर्क दिया था कि 17 जनवरी के आदेश में अदालत ने केवल रिसीवर नियुक्त करने का जिक्र किया है। उसमें पूजा अधिकार का कोई जिक्र नहीं है। इसलिए वाद को निस्तारित मानते हुए खारिज किया जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

सपा सरकार के आदेश पर तहखाने में पूजा-पाठ बंद

गौरतलब है कि वादी शैलेन्द्र पाठक के परिजन वर्ष 1993 तक तहखाने में पूजा पाठ करते थे। 1993 के बाद तत्कालीन सपा सरकार के आदेश पर ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में पूजा पाठ बंद हो गई। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सुनवाई के दौरान मंदिर पक्ष के वकीलों ने अदालत को जानकारी दी थी कि 1993 तक भूखंड आराजी संख्या 9130 (ज्ञानवापी) में मौजूद देवी-देवताओं का नियमित पूजा-पाठ होता था। 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ध्वंस के बाद 1993 में यहां पहले बांस-बल्ली और उसके बाद लोहे की ऊंची बैरिकेडिंग करा दी गई।

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