नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अपने विवादित बयानों के कारण हमेशा सुर्खियों में बने रहते हैं। उनकी एक सलाह को मानना पार्टी के एक कार्यकर्ता पर भारी पड़ गया। राजभर के कहने पर वह कार्यकर्ता थाने में पीले रंग का गमछा पहनकर पहुंचा। वहीं सारी कहानी उल्टी पड़ गई।
क्या बोले ओम प्रकाश राजभर?
दरअसल हुआ यूं कि यूपी कैबिनेट में मंत्री बनने के बाद ओम प्रकाश राजभर ने जनसंबोधन में कहा कि सफेद गमछा मत पहनो बल्कि 20-25 रूपये का एक पीला गमछा गले में डालो। इसको लगाकर थाने में जाओ और वहां दारोगा से कहो कि मंत्री जी ने भेजा है। ओपी राजभर ने कहा कि किसी भी थाने में जाओ सफेद गमछा मत लगाओ। जब आप थाने में जाओगे तो तेरी शक्ल में दारोगा जी को ओपी राजभर नजर आएंगे।
इंटरनेट पर वायरल हुआ वीडियो
उनकी यह बात इंटरनेट पर आग की तरह फैल गई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "X" पर अमर खान नाम के एक यूजर ने यह वीडियो "X" पर शेयर किया। जिसमें लिखा- ओपी राजभार का बयान- 'पीला गमछा लगाकर थाने में जाओ, बोल देना मंत्री जी ने भेजा है- SP-DM की हिम्मत नहीं है कि हमें फोन लगाकर पूछ सके कि भेजा है या नहीं।
थाने में क्यूं मचा बवाल?
उत्तर प्रदेश के गांव रामनगर निवासी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधान सभा क्षेत्र अध्यक्ष संतराम का रुपयों के लेनदेन को लेकर एक युवक से विवाद चल रहा था। इसी मामले में पुलिस ने संतराम को थाने में बुलाया था। इस दौरान बात न बनने पर थानाध्यक्ष ने संतराम को दफ्तर में बैठा दिया। कुछ देर बाद मामला निपटने पर पुलिस ने उसे छोड़ दिया। संतराम ने जिलाध्यक्ष संजेश कश्यप से पुलिस द्वारा अभद्रता कर उसके गले से पील गमछा छीनने का आरोप लगाया। संतराम का कहना है कि पुलिस ने उसे थाने में बैठाए रखा। जबरदस्ती उसके गले से गमछा छीनने की कोशिश की। इसके बाद मामला और गर्म हो गया। संतराम पार्टी के कार्यकर्ताओं के लेकर थाने पहुंच गया। संतराम की शिकायत पर जिलाध्यक्ष संजेश कश्यप, जिला प्रभारी रामकुमार, सुशील कश्यप, धनदेवी, महेंद्र सिंह, सुधा देवी, शारदा देवी, अरविंद, संजय, सीताराम समेत लगभग 1 दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ सोमवार दोपहर बाद थाने पहुंचे। सबने मिलकर मामले की कार्यवाई करने की मांग की।
मांफी मांगने की मांग पर अड़े कार्यकर्ता
वहां मौजुद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अभद्र व्यवहार करने वाले पुलिस अधिकारी से मांफी मांगने के लिए कहा। उपनिरीक्षक नरेश कुमार ने मामले को शांत करके सबको घर भेजा। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी द्वारा कोई अभद्र व्यवहार नहीं किया गया है। कार्यकर्ता भ्रमित हो गए थे।
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