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ब्लैक फंगस के इलाज में प्रयोग होने वाले इंजेक्शनों और दवाओं का अभाव नहीं - नीलकंठ तिवारी

कोविड के नये रूप से बचाव के लिए भाजपा जन प्रतिनिधि हुए जागरूक वाराणसी, 20 मई (हि.स.)। वाराणसी सहित पूरा देश इन दिनों कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस के नये संकट से जूझ रहा है। वाराणसी में ब्लैक फंगस के दस्तक को देख स्थानीय जन प्रतिनिधि भी इससे बचाव और नियंत्रण को लेकर संजीदा है। गुरूवार को स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने जिले के वरिष्ठ चिकित्सकों ईएनटी, आई, न्यूरो सर्जन एवं हृदय रोग विशेषज्ञों के साथ वर्चुअल बैठक कर ब्लैक फंगस पर नियंत्रण के लिए विस्तार से चर्चा की। प्रदेश सरकार के मंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर इतनी तेज आयी कि लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। चौतरफा हाहाकार का माहौल पैदा हो गया। वाराणसी सहित पूरे प्रदेश में एकाएक ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ने लगी। अस्पतालों में बेड का अभाव उत्पन्न हो गया। इस विषम परिस्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मजबूत प्रबंधन और आप सभी के सहयोग से हम बहुत ही अल्प समय में अब इस बड़ी समस्या से निजात पाते नजर आ रहे हैं। राज्यमंत्री ने कहा कि आज काशी मॉडल की सराहना पूरे देश में हो रही है। लेकिन इस बीच पोस्ट कोविड की समस्या उत्पन्न हो गयी, और ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी। इस बीमारी के लक्षण क्या हैं और इसके निदान के लिए क्या कदम उठाने चाहिए। साथ ही इस रोग से पीड़ित मरीजों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए? बैठक में राज्यमंत्री रविन्द्र जायसवाल ने कहा कि मेरी जानकारी के मुताबिक ब्लैक फंगस के मरीज का इलाज करने में ईएनटी, आई, न्यूरो विशेषज्ञ डॉक्टरों का अहम रोल होता है। लखनऊ पीजीआई ने ईएनटी, आई एवं न्यूरो सर्जन डॉक्टरों का एक बोर्ड बनाया है। इस रोग से पीड़ित मरीजों के इलाज में सुविधा हो, मंत्री ने वरिष्ठ चिकित्सकों से सुझाव मांगा। बैठक में चिकित्सकों के सुझाव बैठक में सुझाव देते हुए वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ आर.के. ओझा ने कहा कि पैनिक होने की जरा भी जरूरत नही है। वर्तमान में जो ब्लैक फंगस के मामले आये हैं वे सवा महीने के इकठ्ठे केस एक साथ सामने आए हैं। जो लोग कोविड के चलते महीने भर से अस्पताल में थे। उस समय किसी ने ध्यान दिया नहीं। अनियंत्रित शुगर मरीज जिन्होंने ज्यादा स्टेरायड ली हो ऐसे लोगों को ब्लैक फंगस के संक्रमण की ज्यादा सम्भावना होती है। इससे सबको डरने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ अभिषेक चंद्रा ने कहा कि इस रोग के शुरुआती लक्षण में ही इंजेक्शन देने की जरूरत पड़ती है। ब्लैक फंगस के लक्षणों में आंख से पानी गिरना, आंख लाल होना, आंख में दर्द होना, नाक बंद होना, नाक साफ करते समय खून आना आदि है। यह बीमारी बढ़ने के बाद जानलेवा हो सकती है। इसके लिए पोस्ट कोविड सेंटर बनाने पर चिकित्सकों ने जोर दिया। चिकित्सकों से जानकारी लेने के बाद राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी और रविन्द्र जायसवाल ने कहा कि ब्लैक फंगस के इलाज में प्रयोग होने वाले इंजेक्शनों, दवाओं के अभाव को दूर करने के लिए शासन स्तर पर प्रयास किया जाएगा। हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/विद्या कान्त

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