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भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मना तपोभूमि चित्रकूट के संतों ने की कोरोना महामारी के समन की याचना

- कोरोना गाइड लाइन के अनुपालन के साथ धर्म नगरी में सादगी से मनाया गया रामनवमी का पर्व चित्रकूट, 21 अप्रैल (हि.स.)। आदि तीर्थ के रूप में समूचे विश्व में विख्यात भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट भी इन दिनों वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप से जूझ रहीं है। इसी वजह से इस वर्ष मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का प्रकटोत्सव राम नवमीं का पर्व बड़ी ही सादगी के साथ मनाया गया। कामदगिरि प्रमुख द्वार समेत धर्म नगरी के सभी मठ-मंदिरों में साधू-संतों ने कोरोना गाइडलाइन का कडाई से पालन करते हुए प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव मना देश-दुनिया को कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाने की कामना की। पौराणिक तीर्थ चित्रकूट से भगवान श्रीराम का गहरा लगाव रहा है। प्रभु श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल का सर्वाधिक समय साढ़े 11 वर्ष तपोभूमि चित्रकूट में ऋषि-मुनियों के सानिध्य में व्यातीत किया था। इसी पावन भूमि पर स्थित कामदगिरि पर्वत पर निवास कर प्रभु श्रीराम ने तपोबल से आसुरी शक्तियों से विजय हासिल करने की शक्तियां अर्जित की थी। चित्रकूट से जाते समय भगवान श्रीराम ने चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत को मनोकामनाओं के पूरक होने का वरदान दिया था। त्रेतायुग से ही कामदगिरि पर्वत को भगवान श्रीराम का स्वरूप मानकर पूजन और मनोकामनाओं के पूरन के लिए पंच कोसीय परिक्रमा लगाने की परम्परा शुरू हुई थी। इसी क्रम में ही कोरोना संकट काल से पूर्व तक प्रतिमाह अमावस्या मेले में देश भर से लाखों श्रद्धालु चित्रकूट पहुंच कर माता सती अनुसुईया के तपोबल से प्रकटी पतित पावनी मां मंदाकिनी नदी में आस्था की डुबकी लगाने के बाद मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कामदगिरि पर्वत की पंचकोसीय परिक्रमा लगाते रहे हैं। इस तीर्थ की महिमा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मनौती पूर्ण होने पर लोग कामदगिरि पर्वत की पंच कोसीय दडंवती परिक्रमा लगाते है। आदिकवि गोस्वामी तुलसीदास ने चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत की महिमा का उल्लेख रामचरित मानस में भी किया है। तुलसीदास ने लिखा है कि ’’चित्रकूट सब दिन बसत,प्रभु सिय, लखन समेत’’। धर्म नगरी चित्रकूट में जन्मभूमि अयोध्या की तर्ज पर प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव यानि रामनवमी का पर्व मनाने की परम्परा रहीं है। चित्रकूट के कामदगिरि प्रमुख द्वार, कामतानाथ प्राचीन मुखार बिंद मंदिर, श्रीतुलसी पीठ, भरत मंदिर रामघाट, रामयणी कुटी, रघुवीर मंदिर जानकीकुंड समेत तपोभूमि के सभी मठ- मंदिरों में बड़ी ही दिव्यता-भव्यता के साथ रामनवमी का पर्व मनाया जाता रहा है। इधर, दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना का कहर बढ़ने के कारण चित्रकूट के सभी मेले की रौनक फीकी पड़ गई है। कोरोना की दूसरी लहर से पूरा देश डरा-सहमा हुआ है। इसी वजह से इस वर्ष रामनवमी का पर्व बड़ी सादगी के साथ मनाने का निर्णय लिया गया था। दोपहर 12 बजते ही धर्म नगरी के सभी मठ-मंदिर प्रभु श्रीराम के जयघोष से गंजायमान हो गये। कामदगिरि प्रमुख द्वार में जहां महंत मदन गोपाल दास महाराज की मौजूदगी में साधू-संतों द्वारा कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए प्रश्रु श्रीराम का प्रकटोत्सव मनाया। पुजारी लक्ष्मीदास ने प्रभु श्रीराम का अभिषेक करने के बाद वृहद श्रंगार किया। इसके बाद पूजन-अर्चन एवं भजन कीर्तन आदि का कार्यक्रम दिनभर चलता रहा। इसी प्रकार कामतानाथ प्रचीन मुखार बिंद मंदिर में प्रधान पुजारी भरत शरण दास महाराज द्वारा भगवान कामतानाथ को ही प्रभु श्रीराम का स्वरूप मनाकर प्रकटोत्सव मनाया गया। इसी प्रकार मंदाकिनी के रामघाट तट पर स्थित भरत मंदिर में महंत दिव्यजीवन दास की मौजूदगी में सादगी के साथ रामनवमी का पर्व मनाया गया। इसके अलावा चित्रकूट के अन्य तीर्थ स्थलों स्फटिक शिला, सती अनसुइया, गुप्तगोदावरी, हनुमान धारा सहित अन्य मंदिरों पर रामनवमी का पर्व मनाया गया। हर वर्ष जहां चित्रकूट में लाखों की संख्या में स्थानीय लोगों के अलावा विदेशी श्रद्धालु दर्शन करने आते थे।लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से इन सभी मंदिरों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। चित्रकूट डीएम शुभ्रांत कुमार शुक्ल, कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपाल दास महाराज, भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवन दास महाराज, रामायणी कुटी के महंत रामहृदय दास, कामतानाथ प्राचीन मुखार बिंद के प्रधान पुजारी भरत शरण दास महाराज आदि ने पहले ही अपील जारी कर कोरोना महामारी से बचाव के लिए देश भर से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं से पहले से ही चित्रकूट न आने का अनुरोध किया था। जिसका व्यापक असर देखने को मिला। चित्रकूट के मठ-मंदिरों में दिन भर सन्नाटा पसरा रहा। कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत मदन गोपाल दास महाराज ने बताया कि रामनवमी पर प्रभु श्रीराम का प्रकटोत्सव मना धर्म नगरी के सभी साधू -संतों ने वैश्विक महामारी कोरोना के समन की प्रभु से याचना की गई है। हिन्दुस्थान समाचार /रतन

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