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मीरजापुर का गुलाबी पत्थर राजस्थान पहुंचकर हुआ बदनाम

- 42 सौ करोड़ रुपये के बजट में 14 सौ करोड़ का खेल, घोटाले में खुली पोल - 150 रुपये दर से क्रय होने वाला पत्थर पहुंचा 1890 रुपये प्रति घन मीटर मीरजापुर, 30 जून (हि.स.)। लखनऊ में आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, मान्यवर कांशीराम स्मारक, गौतम बुद्ध उपवन, इको पार्क व नोएडा में आंबेडकर पार्क बनाने की योजना मायावती सरकार में तैयार किया गया। इसमें 4200 करोड़ रुपये का बजट तैयार किया गया था, जिसमें 1400 करोड़ रुपये का गोलमाल होना पाया गया है। प्रस्तावित स्मारक व उद्यान के लिए किन राज्यों से पत्थर मंगाई जाएगी। इसके लिए कई महीने तक सैंड स्टोन के सैंपल अलग-अलग राज्यों व क्षेत्रों से मंगाए गए। इसमें मीरजापुर के गुलाबी पत्थर को वरीयता दी गई। वह भी इसलिए कि गुलाबी पत्थर देखने में खूबसूरत, टिकाऊ व सस्ती है, लेकिन मीरजापुर के अहरौरा का गुलाबी पत्थर राजस्थान जाकर बदनाम हो गया। वर्ष 2007 जुलाई माह में जिले के गुलाबी पत्थर को फाइनल किया गया व उसे मंगाने के लिए अधिकारियों की बैठक हुई। इसके कार्यवृत्त में गुलाबी पत्थर की पर्याप्त मात्रा का उल्लेख किया गया। इसमें पट्टाधारकों से अनुबंध किए जाने, कटिंग व फारविंग के लिए प्लांट स्थापित किए जाने के सुझाव दिए गए। लेकिन इस तरीके से गोलमाल नहीं हो सकते थे तो अधिकारियों ने एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। यहीं से भ्रष्टाचार की रूपरेखा तैयार हो गई। मीरजापुर के गुलाबी पत्थर को पहले राजस्थान भेजा जाएगा और फिर वहां से कटिंग व फारविंग होने के बाद उसे लखनऊ कार्यस्थल पर ले जाया जाएगा। इस तरह से भारी भरकम राशि का बजट तैयार किया गया और गबन की गुंजाइश बढ़ गई। मीरजापुर से जो पत्थर 150 रुपये की दर से क्रय की गई थी, उसी पत्थर का मूल्य राजस्थान में साइजिंग, फारविंग व परिवहन के बाद 1890 रुपये प्रति घन फीट पहुंचा दिया गया। ऐसे में साफ है कि मीरजापुर के गुलाबी पत्थर की कीमत राजस्थान पहुंचते ही 12 गुना बढ़ गई। अगर यही साइजिंग, फारविंग, कटिंग, मोल्डिंग का कार्य मीरजापुर या लखनऊ में होता तो घोटाला 1400 करोड़ रुपये तक कभी नहीं पहुंच पाता। बिना टेंडर के निर्धारित किया सैंड स्टोन का मूल्य स्मारक घोटाले की जांच कर रही टीम का आरोप है कि बिना टेंडर किए ही गुलाबी पत्थर का दर मनमाने तरीके से निर्धारित कर दिया गया है। इसके लिए गठित क्रय समिति ने मनमाना रवैया अपनाते हुए बाजार भाव का सर्वे तक नहीं किया। छोटे आपूर्तिकर्ता आए जांच की जद में स्मारक घोटाले की जांच में कुछ ऐसे छोटे आपूर्तिकर्ता आए हैं, जिन्हें कम राशि का भुगतान हुआ है। जांच टीम ने लगभग उन सभी आपूर्तिकर्ता को आरोपित बना दिया है, जिन्हें स्मारक व उद्यान निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार का भुगतान हुआ है। सैंड स्टोन का मूल्य निर्धारण बसपा सरकार के मंत्री व अधिकारियों ने किया, लेकिन उसका दंश छोटे आपूर्तिकर्ता झेलने को मजबूर हुए हैं। हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/विद्या कान्त

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