बुन्देलखण्ड में मधुमक्खी पालन की अपार संभावनाएं
बांदा,24 मार्च (हि.स.)। बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) द्वारा वित्त पोषित परियोजना के अन्तर्गत “भारत में मधुमक्खी पालन का सत्त विकास, संभावना, चुनौती, रणनीति एवं भावी दिशा“ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उदघाटन करते हुए मुख्य अतिथि डा. यू.एस. गौतम, कुलपति, बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय ने प्रतिभागियो को सम्बोधित करते हुये कहा कि बुन्देलखण्ड में मधुमख्खी पालन की आपार संभावनाएं है।उन्होने कृषकों को समूह में मधुमक्खी पालन करने के लिये प्रेरित किया। उन्होने आय सुनिश्चित करने हेतु मधुमक्खी पालन को कृषि के अन्य आयामों के साथ अपनाते हुये बुन्देलखण्ड को शहद उत्पादन का केन्द्र बनाये जाने एवं शहद के अन्य मूल्य संवर्धित उत्पादों के निर्माण एवं विपणन को बढाये जाने हेतु प्रयास सुनिश्चित करने की बात कही। उन्होंने बताया कि बुन्देलखण्ड में कृषि वि. वि. द्वारा किसानों को मधुमक्खी पालन करने के लिये समय-समय पर आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। कार्यक्रम के आयोजक सचिव डा. ए.के. सिंह, सहायक प्राध्यापक, कीट विज्ञान विभाग ने बताया कि बुन्देलखण्ड दहलन और तिलहन का क्षेत्र होने के कारण यहां मधुमक्खी पालन की आपर संभावनाएं हैं, विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 70 से 80 किसानों को 50 से अधिक मधुमक्खी बाक्स तथा इससे जुडी आवश्यक उपकरण निःशुल्क उपलब्ध करवाया जा चुका है। विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमो तथा इस संगोष्ठी के माध्यम से विश्वविद्यालय द्वारा मधुमक्खी पालन के विकास, संभावनाएं, उनमें आने वाली चुनौतियों से निपटने हेतु आवश्यक रणनीति और विपणन से सम्बन्धित जानकारियां उपलब्ध करवाई जा रहीं हैं । कार्यक्रम कें विशिष्ट अतिथि डा. एस के चक्रवर्ती, प्रधान वैज्ञानिक भात्र कृ. अनु. सं. नई दिल्ली एवं डा. प्रमोद मल्ल प्राध्यापक, गो. ब. पंत कृ. एवं प्रौ. वि. पतंनगर रहे। कार्यक्रम मे डा. पी. के सिंह, प्रधान वैज्ञानिक भा. कृ. अनु. सं. नई दिल्ली एवं डा. नीरज कुमार सिंह सह प्रध्यापक राजेन्द्र कृषि वि. वि पूसा, समस्तीपुर बिहार की विशेष उपस्थिति रही। हिन्दुस्थान समाचार/अनिल