The best pilgrimage in the world is Lord Sri Ram's Tapobhumi Chitrakoot - Jagadguru Rambhadracharya
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विश्व का सर्वश्रेष्ठ तीर्थ है भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट - जगद्गुरु रामभद्राचार्य

चित्रकूट,12 जनवरी (हि.स.)। मनोकामनाओ के पूरक भगवान कामदगिरि पर्वत की तलहटी में आयोजित श्री राम कथा का मंगलवार को विधिवत शुभारम्भ हुआ। इस मौके पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि विश्व में चित्रकूट से पावन कोई दूसरी भूमि नहीं है। कामदगिरि पर्वत के दर्शन मात्र से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। कथा व्यास पद्म विभूषण जगदगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज,उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास जी, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रसिद्ध हास्य कवि पदम सुनील जोगी, विशिष्ट अतिथि कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल गुप्ता " नंदी", यजमान नीलेश मोहता धर्म पत्नी प्रीति मोहता, कुलपति प्रो0 योगेश चन्द्र दुबे, कुलसचिव डा.महेंद्र कुमार उपाध्याय, वित्त अधिकारी आर0 पी0 मिश्रा, चित्रकूट एसडीओपी अभिनव, विद्यालय की प्राचार्या सुश्रीनिर्मला वैष्णव ने मा. सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ किया। इससे पूर्व तुलसीपीठ मंदिर से निरमला वैष्णव के संयोजन मे 108 सुहागिन माताओं को कलश यात्रा कथा स्थल तक आयी। कार्यक्रम में जगदगुरु जी के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने आमंत्रित अतिथियों, संतो, महंतों, विधालय परिवार तथा विश्वविद्यालय परिवार सभी का स्वागत किया। सुनील जोगी ने अपना हास्य कविता पाठ मे भगवान कामतानाथ जी व भगवान रामचंद्र जी के साथ मा. सीताजी के वनवास काल का कविताओं में रोचक वणन किया। उपस्थित लोगों ने तालियां बजाकर सुनील जोगी को उत्साहित किया। अपने संबोधन श्री जोगी ने कहा कि आज परम पूज्य गुरुदेव जगदगुरु जी को पुरा विश्व जानता है।चित्रकूट ही नहीं अपितु विश्व में आपने परचम लहराया हैं। हम आपके उपर गौरव हैं। मेरे साथ ही सन 2015 मे भारत सरकार ने मुझे पदमश्री और आपको उच्च संमान पद्म विभूषण से संमानित किया गया था। आपने ही भगवान श्रीराम जी के मा.उच्च न्यायालय में मुकदमे में अपनी उपस्थिति दर्ज कर साक्ष्य पेश कर सनातन धर्म की रक्षा की। आप एक महान संत, महान शिक्षाविद, दार्शनिक हैं। विशिष्ट अतिथि रहे मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता ने कहा कि मेरा सौभाग्य हैं कि मैं आज आपके दर्शन कर रहा हूँ।आपने एशिया का एकमात्र दिब्यांग विश्वविद्यालय खोलकर देशभर के दिबयांग के लिए शिक्षा की मिशाल कायम की है। आज देशभर में लगभग पाच हजार से अधिक लोगों ने इस विश्वविद्यालय से पढाई कर अपना जीवन सफल बना रहे हैं। मैं परम पूज्य आचार्य रामचंद्र दास जी का आभारी हूं कि आपने मुझे आमंत्रित किया है। वास्तव में भगवान की नगरी कामतानाथ जी के तलहटी , किनारे कथा सुनाकर सभी भक्तों का कल्याण आप कर रहे हैं। आपके पास बहुत ही अलौकिक शक्ति है। आज आपने 216 ग्रंथों की रचना की है जो सामान्य आदमी के बस की बात नहीं है। जगदगुरु ने बताया कि मैं आज अपने 72वे जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीराम कथा के ऋंखला मे 1289वी रामकथा के पहले दिवस पर आप सभी का बहुत-बहुत मंगलाशासन कर रहा हूँ। मैं भगवान कामतानाथ जी की तलहटी मे कथा विषय में "कामदगिरी भे रामप्रसादा, अवलोकत अपहरत विशादा। इसी विषय पर नौ दिन तक श्रीराम कथा का रसपान कराएंगे। मुझे अपने राष्ट्र के उपर गौरव हैं। कामतानाथ जी एक पहाड़ हैं। मतलब एक पर्वत हैं। हम सभी एक पहाड पर भगवान की पूजा करते हैं। चित्रकूट में किसी न किसी आदमी को भगवान के दर्शन अवश्य होते है। भारत में चित्रकूट एक ऐसा रमणीय स्थल हैं जो विश्व में ऐसा नहीं है। हम यहां भजन भी करते हैं और भगवान की परिक्रमा भी करते हैं। यहां पर भगवान शिव मंदिर जो मत्तगजेद्र नाथ जी के नाम से प्रसिद्ध है जो चित्रकूट के राजा हैं। मैं मानवता का एक प्राथमिक विद्यालय के रूप में तुलसी प्रज्ञा चक्षु विधालय व बडे क्षेत्र में विधा का मंदिर बनाया है जो विश्वविद्यालय के रूप में है। जहां देश- भर के दिब्यांग भाई-बहनों को नि:शुल्क शिक्षा,भोजन, पुनर्वास की दी जाती हैं। सबके जीवन में तीन दशाए होती हैं जब प्रसाद दूसरे विशाद तथा तीसरे अवसाद होती हैं। हमारे मन मे जब प्रसन्नता होती हैं तो समाधान है, जब कोई समस्याओ का समाधान नहीं मिलता है तो तब आदमी अवसाद मे चला जाता है। असफल होने पर विशाद होता है। आयोजित कार्यक्रम में कथा पंडाल कथा श्रोताओं से भरा रहा। हिन्दुस्थान समाचार/ रतन-hindusthansamachar.in

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