श्री रामजन्मभूमि मंदिर में लगेगी गर्ग, गोकर्ण और दालभ्य ऋषयों के तपस्थली की पवित्र मिट्टी
श्री रामजन्मभूमि मंदिर में लगेगी गर्ग, गोकर्ण और दालभ्य ऋषयों के तपस्थली की पवित्र मिट्टी

श्री रामजन्मभूमि मंदिर में लगेगी गर्ग, गोकर्ण और दालभ्य ऋषयों के तपस्थली की पवित्र मिट्टी

रायबरेली, 01 अगस्त(हि.स.)। श्रीराम मंदिर निर्माण में महर्षि गर्ग, गोकर्ण और दालभ्य की तपस्थली की पवित्र मिट्टी भी लगेगी। इन स्थानों से पवित्र मिट्टी और गंगाजल लेकर संत और भक्तगण अयोध्या रवाना हो गए हैं। जिले के गंगा किनारे स्थित इन ऋषियों की तपस्थली के लोगों में भी इसको लेकर खासा उत्साह है। सरेनी के गेंगासों में गंगा किनारे मां संकठा देवी का प्रसिद्ध सिद्धपीठ है, यहीं महर्षि गर्ग के आश्रम होने की मान्यता है। महर्षि गर्ग के ही नाम पर उस स्थान का नाम गेंगासों पड़ गया। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए विहिप के प्रांत मंत्री रामगोपाल त्रिपाठी के नेतृत्व में एक दल मां संकठा देवी मंदिर और गर्ग आश्रम की मिट्टी को एक कलश में रखकर विधिवत पूजन अर्चन के बाद लेकर रवाना हुआ। इसके साथ गंगा जल भी ले जाया गया। महर्षि गोकर्ण की तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध गोकना से भी एक पवित्र मिट्टी लेकर एक दल प्रसिद्ध समाजसेवी व भाजपा नेता अभिलाष कौशल के नेतृत्व में अयोध्या पहुंचा। इसके पहले मां गंगा और मिट्टी से भरे कलश की विधिवत पूजा अर्चना की गई। उल्लेखनीय है कि डलमऊ में महर्षि दालभ्य का आश्रम होने की मान्यता है। माना जाता है कि महर्षि दालभ्य के समय मे डलमऊ में कई संत सम्मेलन हुए जिसमे कई बड़े ऋषियों ने भाग लिया था।डलमऊ का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। इस मौके पर भाजपा नेता अभिलाष कौशल ने कहा कि पांच सौ सालों की प्रतीक्षा के बाद यह शुभ अवसर मिला है, यह सौभाग्य है कि महर्षि गोकर्ण की पवित्र मिट्टी और गंगा जल का उपयोग मंदिर निर्माण के लिए किया जाएगा। जिले के सबसे महत्वपूर्ण धर्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध डलमऊ से भी पवित्र मिट्टी और गंगा जल एक कलश में रखकर ले जाया गया। इसके पहले वैदिक मंत्रोच्चार से विधिवत कलश का पूजन किया गया। इस संबंध में डलमऊ मठ के महंत देवेंद्रनंद गिरी ने बताया कि श्री राम मंदिर निर्माण को लेकर लोगों में उत्साह है, उन्हें खुशी है कि इस पवित्र स्थल की मिट्टी मंदिर निर्माण में लगेगी। हिन्दुस्थान समाचार/रजनीश/राजेश-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in