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रोग प्रतिरोधक क्षमता के संवर्धन के लिए संतुलित, सात्विक व पोषण युक्त आहार लें

अविवि में दो दिवसीय अन्तरराट्रीय कांफ्रेस का हुआ समापन अयोध्या, 22 जून (हि.स.)। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में योग विज्ञान विभाग, शारीरिक शिक्षा खेल एवं यौगिक विज्ञान संस्थान द्वारा 'कोविड-19 के संदर्भ में यौगिक जीवन व समग्र स्वास्थ्य' विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का मंगलवार को समापन हुआ। समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि विवेक सृष्टि संस्थान अयोध्या के निदेक डॉ. चैतन्य ने कहा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का पूर्ण सजगता से चिंतन एवं इनके अर्जन के लिए प्रयास करना मनुष्य के जीवन का एक मात्र लक्ष्य है। भारत के ग्रंथों में नियमित स्वाध्याय का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के संक्रमण से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता के संवर्धन के लिए संतुलित, सात्विक व पोषण युक्त आहार लेना चाहिए। इन सबके अलावा योगाभ्यास ही समग्र स्वास्थ्य का निदान है। समपान सत्र की अध्यक्षता करते हुए शारीरिक शिक्षा खेल एवं यौगिक विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. संतशरण मिश्र ने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए हितकर भोजन, संयमित यौगिक दिनचर्या होनी चाहिए। इसके सम्यक स्वाध्याय के साथ किया गया योगाभ्यास समग्र स्वास्थ्य प्रदान कर सकता है। नियमित योग करने से हम अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं और अपने जीवन को निरोगी बना सकते हैं। समापन सत्र के पूर्व प्रथम तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान दिल्ली के डा.तनेजा ने योग के वैज्ञानिक तथ्य को रखते हुए बताया कि भ्रामरी प्राणायाम द्वारा सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम के सहारे आज की लाइफ स्टाइल डिजीज से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्राणों की शक्ति से हम शरीर में तीव्र ऊर्जा का संचार करते हैं। योग में आसन से प्राणायाम और प्रत्याहार ध्यान द्वारा व्यक्तित्व का विकास कर सकते हैं। द्वितीय सत्र में नीदरलैंड के डा. एलरिक व डा. सिंथिया ने मस्तिष्क की कार्यक्षमता का भावातीत ध्यान द्वारा कैसे विकास व परिवर्धित किया जा सकता है इसको वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने वैज्ञानिक आधार पर बताया कि हम भावातीत ध्यान से अपने मस्तिष्क की क्षमता को विकसित व परिवर्धित कर सकते हैं। तृतीय तकनीकी सत्र में डा. विनोद कश्यप ने बताया कि कोरोना काल में प्राकृतिक चिकित्सा और योग ने समग्र स्वास्थ्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने बताया कि व्यवहार व विचार हमारे स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित करता है। इसको श्रेष्ठ बनाकर शारीरिक, मानसिक व सामाजिक रूप में भी शुद्ध हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि आने वाला समय मानसिक बीमारियों को बढ़ाएगा तो ऐसे समय में योग व प्राकृतिक चिकित्सा ही सहारा बनेगी। तकनीकी सत्र में शोधार्थियों एंव शिक्षकों द्वारा शोध-पत्र प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही प्रतिभागियों के प्रश्नों का निराकरण भी किया गया। तकनीकी सहयोग मनीषा यादव और संघर्ष सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के आलोक तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन अनुराग सोनी ने किया। इस अवसर डा. अनिल मिश्र, डा. कपिल राणा, डा. अर्जुन सिंह, डा. त्रिलोकी यादव, डा. मुकेश वर्मा, डा. अनुराग पांडे, गायत्री वर्मा, डा. प्रतिभा त्रिपाठी, देवेंद्र वर्मा सहित लगभग पांच सौ प्रतिभागी आनलाइन जुड़े रहे। हिन्दुस्थान समाचार/पवन

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