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आरबीएसके में जन्मजात विकृतियों का सफल इलाज संभव, कोरोना काल में भी सराहनीय कार्य

-साल 2019-20 में जिले के 11,152 बच्चों का हुआ इलाज वाराणसी,01 अप्रैल (हि.स.)। आर्थिक अभाव में अपने बच्चों के जन्मजात विकृतियों का इलाज न करा पाने वाले अभिभावकों के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके ) मजबूत सहारा बना है। इस कार्यक्रम में बच्चों के दिल में छेद, न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट, मुड़े हुये पैर, कटे होंठ व तालु का सफल और निशुल्क इलाज हो रहा है। गुरूवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीबी सिंह ने बताया कि वर्ष 2019-20 में जिले के 11,152 बच्चों का सफलतापूर्वक उपचार हुआ। ये बच्चे जन्मजात विकृतियों के शिकार रहे। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के तहत तीन बच्चों के दिल में छेद, चार बच्चों के न्यूरल ट्यूब डिफ़ेक्ट, 22 बच्चों के मुड़े हुये पैरों व 32 बच्चों के कटे होंठ व तालु की निशुल्क सर्जरी हुई थी। जिले में 16 आरबीएसके की टीम है। प्रत्येक ब्लॉक पर दो-दो टीमें हैं। कार्यक्रम के तहत आरबीएसके टीम आंगनबाड़ी केन्द्रों में भ्रमण कर जन्मजात विकृतियों व बीमारियों से ग्रसित बच्चों को चिन्हित कर उनका उपचार कराती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 के कोरोना काल में आरबीएसके टीमों ने भी बेहद सराहनीय कार्य किया। सभी स्कूल आगंनवाडी केन्द्रों के बन्द होने के कारण आरबीएसके की टीम कोरोना से सम्बन्धित अन्य कार्यों में अपना योगदान देती रही। नवम्बर 2020 से स्कूल व आगंनवाडी केन्द्रों के पुनः खुलने के साथ ही आरबीएसके का कार्य दोबारा सफलता के साथ संचालित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के अंतर्गत किशोर-किशोरियों में आयरन व खून की कमी को दूर करने के लिए आयरन की नीली और गुलाबी गोली सप्ताह में एक बार खिलाई जाती है। पिछले वर्ष आयरन की गोलियां प्रत्येक सप्ताह सभी स्कूल जाने वाले बच्चों एवं स्कूल न जाने वाली किशोरियों (आंगनवाडी केन्द्रो पर पंजीकृत) को खिलाई गई। एसीएमओ व नोडल अधिकारी डॉ. एके गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम के तहत वर्ष 2019-20 में भ्रमण किये गये स्कूलों की संख्या लक्ष्य के अनुपात में शत-प्रतिशत रही। 2923 आंगनबाड़ी केन्द्रों के लक्ष्य के सापेक्ष 2923 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शत-प्रतिशत स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। आरबीएसके कार्यक्रम में वर्ष 2019-20 में जन्म से 19 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण का वार्षिक लक्ष्य 3,35,662 के सापेक्ष 3,34,854 रहा । इनमें से ‘फोर डी0’ से प्रभावित बच्चे 16124 पाये गये। इनको उच्च सरकारी चिकित्सा इकाईयों पर सन्दर्भित किया गया। इनमें से 11,152 बच्चों का समुचित उपचार कराया गया। उन्होंने बताया कि 32 कटे होठ व तालु वाले बच्चों का उपचार स्माइल ट्रेन संस्था की सौजन्य से आरबीएसके के अंतर्गत कराया गया। उन्होंने बताया कि नीति आयोग द्वारा सेवापुरी ब्लाक को मॉडल ब्लाक बनाने के मात्र 25 दिनों में ही 171 विद्यालयों एवं 265 आगंनवाडी केन्द्रों में 28684 बच्चों की स्क्रीनिंग कर 1196 (4.5 प्रतिशत), (प्रदेश औसत 3.5 प्रतिशत) को सन्दर्भित करते हुए लक्ष्य को प्राप्त किया गया । हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दीपक

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