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पर्यावरण दिवस पर विशेष: दिल्ली की राजकीय पक्षी गोरैया की गाजियाबाद में दुर्गति

-मोबाइल टावरों की रेडिएशन से आये दिन हो रही बेजुबान गौरैया की मौत गाजियाबाद, 04 जून (हि.स.)। पड़ोसी राज्य दिल्ली में भले ही गौरैया राजकीय पक्षी घोषित हो, लेकिन गाजियाबाद में इस बेजुबान की दुर्गति हो रही है। मोबाइल टावर से निकलने वाली रेडिएशन गौरैया के लिए कहर बन रही है और वे बेमौत मारी जा रही है। यह स्थिति तब है जब सुप्रीम कोर्ट से लेकर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण तक इसके संरक्षण करने की दिशा निर्देश दे चुके हैं, लेकिन संबंधित विभाग इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है। यह बेजुबान पक्षी मौत के गाल में समा रही हैं। पिछले दिनों प्रताप विहार में जहां एक पखवाड़े में लगभग दो दर्जन गोरैया के नवजात बच्चे रेडिएशन का शिकार होकर मृत अवस्था में पड़े मिले। इस संबंध में पर्यावरणविद विजय पाल बघेल से लेकर निर्मल कुमार तक जिला प्रशासन के अधिकारियों, वन विभाग और पर्यावरण प्रेमियों से गौरैया बिरादरी को बचाने की गुहार लगा रह हैं, लेकिन उनकी गुहार को हर कोई अनदेखी कर रहा है। जिसका खामियाजा गौरैया व उसके बच्चे भुगत रहे हैं। जीडीए की तत्कालीन उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने अपने आवास में गौरैया के लिए घर बनाए थे और लोगों को संदेश दिया था कि इस प्रजाति को बचाना है। इसके लिए गौरैया को संरक्षण देने के लिए उन्होंने जीडीए की तमाम कालोनियों में गोरेगांव के लिए घरौंदा बनाने के लिए रणनीति बनाई थी, लेकिन उनके तबादले के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। निर्मल कुमार ने गौरैया के लगभग 650 घोंसले बनाए हैं जहां गौरैया बसेरा करती है। पिछले दो दशकों से निर्मल कुमार गौरैया संरक्षण को लेकर सुर्खियों में हैं। प्रताप विहार में गौरैया का बसेरा बना है और वहीं हाल में मोबाइल टावर लगाए गए हैं। बताया कि टॉवरों से निकलने वाली रेडिएशन का असर इन बेजुबान पक्षियों पर पड़ रहा है। वन विभाग की वानिकी निदेशक दीक्षा भंडारी का कहना है कि उनके संज्ञान में यह मामला नहीं आया है। इसके बावजूद इस मामले की जांच करायी जायेगी। विजयपाल बघेल बताते हैं कि एक गौरैया का औसतन वजन 25 से 30 ग्राम के बीच होता है। किसी भी प्रकार का रेडिएशन या प्रदूषण यह पक्षी झेल नहीं पाती हैं। भयंकर जल प्रदूषण भी गौरैया प्रजाति का सबसे बड़ा दुश्मन है। प्रदूषित पानी पीने के बाद यह पक्षी विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होकर मौत के आगोश में समा जाती हैं। हिन्दुस्थान समाचार/फरमान अली

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