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पुत्र कर चुका था पिंडदान, 28 वर्ष बाद हरियाणा के यमुनानगर में जिंदा मिला पिता

रेलवे में झंडी दिखाने का काम करता था लापता रोहित मानसिक स्थिति ठीक न होने के कारण घर से हुआ था लापता मीरजापुर, 26 जून (हि.स.)। उस बेटे को कैसा महसूस होगा, जब पिंडदान करने के 28 वर्ष बाद उसका पिता उसके समक्ष खड़ा हो। जिले के जिगना थाना क्षेत्र के बिजरकला गांव निवासी एक व्यक्ति 28 वर्ष बाद हरियाणा में यमुनानगर के एक आश्रम में मिला है। पिता को लेने पुत्र गुरुवार को यमुनानगर पहुंच गया। पिता को सामने देखा तो खुशी से उसके आंसू निकलने लगे। जिगना थाना क्षेत्र के बिजरकला गांव निवासी तीन भाइयों में दूसरे नंबर का रोहित रेलवे में ट्रेन को झंडी दिखाने का काम करता था। 30 वर्ष की उम्र में मानसिक स्थिति ठीक न होने पर वह काम छोड़ दिया था। 28 वर्ष पूर्व वह विजयदशमी के बाद जिगना थाना क्षेत्र के दुगारहा गांव में लगने वाले कुश्ती दंगल मेला देखने के लिए घर से निकला था। इसके बाद वह वापस घर नहीं लौटा। परिवार वालों ने काफी खोजबीन की पर पता नहीं चला। इसके बाद परिजन उसे मृत समझ लिया और बेटे ने उसका पिंडदान भी कर दिया। अप्रैल 2021 में रोहित कुरुक्षेत्र के शाहबाद में 'नी आसरे दा आसरा आश्रम' के संचालक जसकीरत को मिला। उन्होंने देखा कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। ऐसे में आश्रम में उसका उपचार कराया गया। जिससे मानसिक स्थिति कुछ ठीक हुई। उसके बाद आश्रम की तरफ से स्टेट क्राइम ब्रांच पंचकूला की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल को जानकारी दी गई। तब एएसआई राजेश कुमार रोहित से मिले। उसके बाद राजेश कुमार ने घंटे भर रोहित से बात की तो उसने अपने गांव का नाम बिजरकला बताया। राजेश ने फिर इंटरनेट के जरिए बिजरकला गांव को तलाशा। उन्हें इस नाम के कई गांव मिले। तब उन गांवों के प्रधान से बात की। उसके बाद बिजरकला गांव के प्रधान रवि यादव से बात किया। प्रधान रोहित ने बताया कि उनके गांव का निवासी रोहित कई वर्ष से लापता है। इसके बाद एएसआई ने प्रधान रवि के जरिए रोहित के परिवार से सम्पर्क किया। ग्राम प्रधान रवि ने बताया कि 15 दिन पहले उनके पास फोन आया था। रोहित को दो पुत्र हैं। बड़ा अमरनाथ और छोटा विजय है। पुलिस ने अमरनाथ से वीडियो कॉलिंग के जरिए बात कर पिता की पहचान कराई। तीन दिन पूर्व परिवार के लोग हरियाणा के लिए रवाना हुए। गुरुवार को परिवार वहां पहुंच गया है। हिन्दुस्तान समाचार/गिरजा शंकर/विद्या कान्त

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