धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक ना बनें श्रीराम मंदिर: यति नरसिंहानंद सरस्वती
गाजियाबाद, 11 जनवरी (हि.स.)। डासना शिवशक्ति धाम के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि अयोध्या में बनने वाला श्रीराम मंदिर धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक नहीं बनना चाहिए। इसके विरोध में सोमवार को महंत से आमरण अनशन शुरू कर दिया। महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने सोमवार को अपने रक्त से लिखा पत्र आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत, विहिप के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार, श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट के महामंत्री चम्पतराय और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा। उन्होंने पत्र में कहा कि जिहादियों द्वारा सैकड़ांे वर्ष तक हिन्दुओं पर किए गए अत्याचार के बाद श्रीराम मन्दिर बन रहा है। इसे कदापि भी धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक नही बनाया जा सकता। महंत ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के लिए गैर हिन्दुओं से दान मांगना श्रीराम जन्मभूमि के लिए प्राण न्यौछावर करने वाले सभी अमर बलिदानियों का अपमान है। वह कौम समाप्त हो जाती है, जो कौम के लिए बलिदान देने वाले योद्धाओं के साथ विश्वासघात करती है। श्रीराम मंदिर निर्माण से जुड़े संगठनों को समझना चाहिए कि भारत वर्ष की हिन्दू जनता का अपार जनसमर्थन भव्य श्रीराम मंदिर आंदोलन को मिला था, न कि धर्मनिरपेक्षता को। यह स्वयं भगवान श्रीराम के साथ भी धोखा है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर यह धर्म विरुद्ध कार्य किया गया तो भारत भूमि से सनातन धर्म के समूल विनाश को कोई नहीं रोक सकेगा। उन्होंने इसके विरोध में आमरण अनशन शुरू कर दिया। शिवशक्ति धाम के सन्यासियों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वे पूरे देश मे घूम-घूम कर धर्मगुरुओं से मिलेंगे और समर्थन देने का आग्रह करेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/फरमान-hindusthansamachar.in