दूरबीन से चांद देखना शरई ऐतबार से विश्वसनीय: मुफ्ती इकबाल अहमद कासमी
- अकीका शरीयत के हिसाब से पैदाइश के सातवें दिन हो जाना ज्यादा अफजल है कानपुर, 11 मई (हि.स.)। रमजान माह का आखिरी अशरा भी मुकम्मल होने को आ गया है। कोरोना गाइड लाइन के अनुसार ईद की नमाज़ अदा होनी है। लोगो के मन मे तमाम सवाल उठ रहे है। उन सावलो का सही जवाब कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी की अल शरिया हेल्पलाइन के ज़रिए सवाल किए गए जिनका मुकम्मल जवाब संस्था के अध्यक्ष मुफ़्ती इक़बाल अहमद कासमी ने बखूबी दिए। कुल हिन्द इस्लामिक इल्मी अकादमी कानपुर की अल-शरिया हेल्पलाइन से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर। प्रश्न :- जकात की रकम चोरी हो गई तो क्या जकात अदा होगी? उत्तर :- अगर जकात की रकम निकालकर अलग नहीं की गई और सारी रकम चोरी हो गई तो ज़कात नहीं देनी होगी और सिर्फ अलग की गई रकम चोरी हो गयी या और किसी तरह बेकार हो गई तो जकात खत्म नहीं बल्कि दोबारा देनी होगी, इसलिये कि पात्र पर खर्च नहीं हुई। प्रश्न:- अकीका किस दिन किया जाये? उत्तर:- अफजल यह है कि अकीका पैदाइश के सातवें दिन कर दिया जाये, जैसे अगर जुमे को पैदाइश हुई तो जुमेरात को अकीका कर दें। प्रश्न:- ईद की नमाज में पहली रकअत में जायद तकबीर भूल जाये तो क्या हुक्म है? उत्तर:-ईद की नमाज की पहली रकअत में इमाम जायद तकबीर भूल गया और सूरह फातिहा का कुछ हिस्सा या पूरी सूरह फातिहा पढ़ने के बाद याद आया तो तकबीर कहे, किरअत दोबार नहीं पढ़ी जायेगी। प्रश्न:- दूरबीन से चांद देखना कैसा है ? उत्तर:- दूरबीन से भी चांद देखना शरअन विश्वसनीय है। प्रश्न:- चांद के सम्बन्ध में खगोलशास्त्री की बात पर विश्वास किया जा सकता है या नहीं ? उत्तर:- चांद के सम्बन्ध में खगोलशास्त्री और वैज्ञानिकों का हिसाब शरअन विश्वसनीय नहीं है। हिन्दुस्थान समाचार / महमूद